विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 11 मई को कहा था कि भारत में पाया गया कोरोना वायरस का B.1.617 वेरिएंट वैश्विक चिंता का वेरिएंट है। WHO ने भारत में पहली बार पाए गए इस वेरिएंट पर चिंता जताते हुए कहा था कि यह दुनिया के 44 देशों में पहुंच गया है। संगठन के मुताबिक, B.1.617 वेरिएंट वायरस के मूल स्ट्रेन की तुलना में ज्यादा आसानी और तेजी से फैलता है और यही कारण है कि भारत में कोरोना संक्रमण के मामले और इससे होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हालांकि WHO ने इस बात पर भी जोर दिया था कि इस वेरिएंट के प्रभाव को वैक्सीनेशन से कम किया जा सकता है। इसके बाद ही कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में B.1.617 कोरोना वैरिएंट को 'इंडियन वैरिएंट' के रूप में बताना शुरू कर दिया। ऐसे में भारत सरकार ने एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि B.1.617 वेरिएंट को कोरोना वायरस के “इंडियन वैरिएंट” के रूप में बताना 'निराधार' और 'बेबुनियाद' हैं। सरकार ने कहा कि WHO ने अपने 32 पन्नों के दस्तावेज में कही भी यह नहीं कहा है कि B.1.617 वैरिएंट एक 'भारतीय वैरिएंट' है।
शुक्रवार को केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया कंपनियों को 'भारतीय वैरिएंट' शब्द से जुड़े कंटेंट को हटाने को कहा है। इसके साथ यह भी कहा कि यह पूरी तरह गलत है। इस तरह का कोई वेरिएंट WHO ने वैज्ञानिक रूप से नहीं बताया है। WHO ने कोरोना वायरस के B.1.617 वैरिएंट के साथ ‘भारतीय वैरिएंट’ शब्द को नहीं जोड़ा है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से इस मामले में 12 मई को ही सफाई दे दी गई थी। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि इस तरीके का शब्द इस्तेमाल करने से गलत सूचना फैल रही है और देश की छवि खराब होती है। वहीं एजेंसी से एक सोशल मीडिया एग्जिक्यूटिव ने कहा कि इस शब्द से जुड़े सभी कंटेंट को हटाना मुश्किल होगा, क्योंकि इस तरह के हजारों पोस्ट अब तक हो चुकी है।