बलिदान के लिए जाना जाता हैं चित्तौड़गढ़ दुर्ग, जानें इसका इतिहास, वास्तुकला, दर्शनीय स्थल और जरूरी जानकारी

By: Priyanka Maheshwari Tue, 28 Nov 2023 4:21:38

बलिदान के लिए जाना जाता हैं चित्तौड़गढ़ दुर्ग, जानें इसका इतिहास, वास्तुकला, दर्शनीय स्थल और जरूरी जानकारी

सर्दियों का मौसम जारी हैं और आने वाली छुट्टियों में लोग घूमने का प्लान बना रहे हैं। ऐसे में लोग जगह का चुनाव करते हैं कि कहां घूमने जाया जाए। इसका एक बेस्ट ऑप्शन हैं राजस्थान का ऐतिहासिक दुर्ग चित्तौड़गढ़ किला जो पर्यटन के लिए जाना जाता हैं। भारत के सबसे बड़े दुर्ग में चित्तौड़गढ़ दुर्ग का स्थान प्रथम है। अपने इतिहास और वास्तुकला के चलते चित्तौड़गढ़ दुर्ग का स्थान काफी ऊपर है। इसके शानदार कलाकृति को देखते हुए साल 2013 में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का नाम दिया गया। आज इस कड़ी में हम आपको चित्तौड़गढ़ दुर्ग के इतिहास, वास्तुकला, दर्शनीय स्थल और अन्य जरूरी जानकारी के बारे में बताने जा रहे हैं।

chittorgarh fort history and details,exploring chittorgarh fort information,guide to chittorgarh fort,chittorgarh fort: historical insights,visiting chittorgarh fort in india,chittorgarh fort: facts and significance,understanding the history of chittorgarh fort,exploring the architecture of chittorgarh fort,chittorgarh fort: symbol of rajput valor,tourist guide to chittorgarh fort,chittorgarh fort unesco world heritage,chittorgarh fort historical significance,chittorgarh fort architecture details,rajput history at chittorgarh fort,chittorgarh fort tourist attractions,chittorgarh fort battle stories,chittorgarh fort royal heritage,chittorgarh fort visitor guide,chittorgarh fort ancient marvel,chittorgarh fort cultural heritage

चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास

चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण 7वीं शताब्दी में मौर्य शासकों ने करवाया था। मौर्य शासकों के बाद अन्य शासकों ने चित्तौड़गढ़ दुर्ग के प्रवेश द्वारों के निर्माण में अपनी भूमिका निभाई थी। चित्तौड़गढ़ दुर्ग के इतिहास के पीछे कई कथाएं मौजूद हैं, जिसके अंतर्गत एक कथा यह है कि चित्तौड़गढ़ दुर्ग का नाम बिल्डर चित्रंगा से आया है, जो स्थानीय कबीले के शासक थे और उन्होंने खुद को मौर्य बताया था। चित्तौड़गढ़ दुर्ग से संबंधित एक कथा यह भी है कि इसके निर्माण का श्रेय मुख्य रूप से भीम को जाता है क्योंकि उन्होंने जमीन पर वार किया था और इससे ही भीमताल कुंड का निर्माण हुआ था।

15वीं और 16वीं शताब्दी में भी तीन बार इस दुर्ग पर कब्जे किए गए थे, जिसमें 1303 ईसवी में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा राणा रतन सिंह को, 1535 ईस्वी में बहादुर शाह ने बिक्रमजीत सिंह को एवं 1567 ईस्वी में अकबर ने महाराणा उदय सिंह द्वितीय को युद्ध में हराया था। राजपूताना वंश के वीरता पूर्वक साहस के बाद भी वे पराजित हो गए, जिसके कारण 13,000 से भी अधिक महिलाओं एवं सैनिकों के बच्चों ने सामूहिक आत्मदाह कर दिया था। इस आत्मदाह का नेतृत्व राणा रतन सिंह की पत्नी यानी कि रानी पद्मिनी ने किया। अतः चित्तौड़गढ़ दुर्ग के निर्माण में राजपूतों के बलिदान की कथा भी शामिल है।

chittorgarh fort history and details,exploring chittorgarh fort information,guide to chittorgarh fort,chittorgarh fort: historical insights,visiting chittorgarh fort in india,chittorgarh fort: facts and significance,understanding the history of chittorgarh fort,exploring the architecture of chittorgarh fort,chittorgarh fort: symbol of rajput valor,tourist guide to chittorgarh fort,chittorgarh fort unesco world heritage,chittorgarh fort historical significance,chittorgarh fort architecture details,rajput history at chittorgarh fort,chittorgarh fort tourist attractions,chittorgarh fort battle stories,chittorgarh fort royal heritage,chittorgarh fort visitor guide,chittorgarh fort ancient marvel,chittorgarh fort cultural heritage

चित्तौड़गढ़ दुर्ग की वास्तुकला

इस किले की वास्तुकला बेहद ही शानदार और यहां आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने वाली है। बता दें कि इस दुर्ग का निर्माण 590 फीट की ऊंचाई पर एक पहाड़ी पर हुआ है। यह लगभग 700 एकड़ की भूमि पर अवस्थित है। इस दुर्ग की परिधि 1300 किलोमीटर है। इस दुर्ग में प्रवेश पाने के लिए कई मुख्य द्वार हैं जिनमें मुख्य रुप से हनुमान पोल, जोरला पोल, भैरों पोल, पेडल पोल और लक्ष्मण पोल के अलावा अंतिम द्वार और मुख्य द्वार भी है। यह राजस्थान के गणभेरी नदी के पास है।

इसके अतिरिक्त इस दुर्ग में मुख्य मंदिरों की संख्या 19 एवं महल परिसरों की संख्या 4 है। इतना ही नहीं यहां 4 स्मारक एवं 20 कार्यात्मक जल निकायों की भी स्थापना की गई है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग में विजय स्तंभ स्मारक और कुंभ श्याम मंदिर के अलावा मीराबाई मंदिर और श्रृंगार चौरी मंदिर भी काफी आकर्षक है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग की निर्माण शैलियों को देखते समय यह साफ झलकता है कि इसे दो चरणों में निर्माण कराया गया है क्योंकि इसमें दो तरह के शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है। इस शैलियों में राजपूताना शैली एवं सिसोदियन शैली शामिल है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग में रतन सिंह पैलेस के साथ-साथ फतेह प्रकाश को भी शामिल किया गया है।

chittorgarh fort history and details,exploring chittorgarh fort information,guide to chittorgarh fort,chittorgarh fort: historical insights,visiting chittorgarh fort in india,chittorgarh fort: facts and significance,understanding the history of chittorgarh fort,exploring the architecture of chittorgarh fort,chittorgarh fort: symbol of rajput valor,tourist guide to chittorgarh fort,chittorgarh fort unesco world heritage,chittorgarh fort historical significance,chittorgarh fort architecture details,rajput history at chittorgarh fort,chittorgarh fort tourist attractions,chittorgarh fort battle stories,chittorgarh fort royal heritage,chittorgarh fort visitor guide,chittorgarh fort ancient marvel,chittorgarh fort cultural heritage

चित्तौड़गढ़ किले का विजय स्तंभ

इस किले में विजय स्तंभ बेहद प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है। इसे जया स्तंभ के नाम से भी जाना जाता है। खिलजी के ऊपर राणा कुंभ की विजय का यह प्रतीक है। 37.2 मीटर ऊँचे इस विजय स्तंभ का निर्माण 10 वर्षों में हुआ, जो 47 वर्ग फुट की भूमि पर फैली हुई है। इस स्तर तक पहुंचने के लिए नौ मंजिलों तक की एक घुमावदार सीढ़ी बनी हुई है। इसका समापन एक गुंबद में जाकर होता है। इसके ऊपर चढ़कर चित्तौड़ का बेहद ही सुंदर नजारा देखने को मिलता है।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग का कीर्ति स्तंभ


किले का कीर्ति स्तंभ टावर ऑफ फेम परिसर में स्थित है। 22 मीटर ऊंचे कीर्ति स्तंभ को बघेरवाल जैन व्यापारी जीजाजी राठौड़ ने बनवाया था। यह स्तंभ जैन तीर्थंकर आदिनाथ के समर्पण में बनाया गया था एवं इसे बाहर की ओर जैन मूर्तियों से भी सजाया गया है।

chittorgarh fort history and details,exploring chittorgarh fort information,guide to chittorgarh fort,chittorgarh fort: historical insights,visiting chittorgarh fort in india,chittorgarh fort: facts and significance,understanding the history of chittorgarh fort,exploring the architecture of chittorgarh fort,chittorgarh fort: symbol of rajput valor,tourist guide to chittorgarh fort,chittorgarh fort unesco world heritage,chittorgarh fort historical significance,chittorgarh fort architecture details,rajput history at chittorgarh fort,chittorgarh fort tourist attractions,chittorgarh fort battle stories,chittorgarh fort royal heritage,chittorgarh fort visitor guide,chittorgarh fort ancient marvel,chittorgarh fort cultural heritage

चित्तौड़गढ़ दुर्ग में राणा कुंभ महल

किले में विजय स्तंभ के प्रवेश द्वार पर राणा कुंभ महल स्थित है। राणा कुंभ महल में ही रानी पद्मिनी के साथ कई महिलाओं ने सामूहिक आत्मदाह में खुद को समर्पण कर दिया था। चित्तौड़गढ़ के सबसे पुराने स्मारकों में यह शामिल है।

चित्तौड़गढ़ किले में रानी पद्मिनी महल


रानी पद्मिनी महल तीन मंजिलों का एक बेहद ऊंचा ईमारत है जिसका पुर्ननिर्माण 19वीं सदी में हुआ था। यह चित्तौड़गढ़ दुर्ग के दक्षिण में स्थित है। कहा जाता है कि रानी पद्मिनी ने अलाउद्दीन खिलजी को इसी स्थान पर देखने के लिए अनुमति दिया था।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग में पर्यटकों के भ्रमण के लिए सबसे उचित समय


इस किले की वास्तुकला इतनी बेहतरीन एवं कारीगरी इतनी शानदार है कि लोगों को इसकी तरफ आकर्षित होने में जरा भी समय नहीं लगता। पर्यटक यदि पर्यटन के उद्देश्य से चित्तौड़गढ़ दुर्ग में भ्रमण के लिए आते हैं तो उनके लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से लेकर मार्च के महीने के बीच रहता है। इसके अंतर्गत सबसे अच्छा समय शाम का होता है, जब अधिक धूप भी नहीं होती एवं लोगों की संख्या भी यहां कम होती है।

chittorgarh fort history and details,exploring chittorgarh fort information,guide to chittorgarh fort,chittorgarh fort: historical insights,visiting chittorgarh fort in india,chittorgarh fort: facts and significance,understanding the history of chittorgarh fort,exploring the architecture of chittorgarh fort,chittorgarh fort: symbol of rajput valor,tourist guide to chittorgarh fort,chittorgarh fort unesco world heritage,chittorgarh fort historical significance,chittorgarh fort architecture details,rajput history at chittorgarh fort,chittorgarh fort tourist attractions,chittorgarh fort battle stories,chittorgarh fort royal heritage,chittorgarh fort visitor guide,chittorgarh fort ancient marvel,chittorgarh fort cultural heritage

हवाई मार्ग द्वारा चित्तौड़गढ़ की यात्रा

चित्तौड़गढ़ जाने के लिए यदि हवाई मार्ग का चयन करें तो उदयपुर में डबोक हवाई अड्डा सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। यह चित्तौड़गढ़ से केवल 70 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। इसके बाद हवाई अड्डे से लेकर दुर्ग या होटल जाने के लिए टैक्सी अथवा कैब मिल जाती है।

सड़क मार्ग द्वारा चित्तौड़गढ़ की यात्रा

चित्तौड़गढ़ दुर्ग तक पहुंचने के लिए राजस्थान के जोधपुर, जयपुर या उदयपुर जैसे शहरों में सड़क मार्ग की सुविधा उपलब्ध है। दिल्ली से लेकर चित्तौड़गढ़ की दूरी 566 किलोमीटर है। इसके लिए 10 घंटे का समय पर्याप्त है। यदि अहमदाबाद से चित्तौड़गढ़ पहुंचना हो तो 7 घंटे में यात्रा पूरी हो जाती है।

रेल मार्ग द्वारा चित्तौड़गढ़ की यात्रा

चित्तौड़गढ़ का मुख्य रेलवे स्टेशन चित्तौड़गढ़ जंक्शन है। ब्रॉड गेज लाइन पर स्थित चित्तौड़गढ़ जंक्शन दक्षिणी राजस्थान के बड़े रेलवे जंक्शन में एक है। चित्तौड़गढ़ जंक्शन पर उतरकर कैब या टैक्सी मिल जाती है जिसके जरिए आप आसानी से चित्तौड़गढ़ दुर्ग का भ्रमण कर सकते हैं।

ये भी पढ़े :

# सस्ते में लेना चाहते हैं घूमने का मजा, ये 7 जगहें करेगी आपकी चाहत को पूरा

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com