बढ़ने लगे हैं थायराइड के मामले, योग और प्राणायाम की मदद से करें इसे कंट्रोल
By: Ankur Wed, 20 July 2022 4:46:43
मनुष्य के शरीर में विभिन्न प्रकार की ग्रंथियां पाई जाती हैं जो कई तरह के हार्मोन का उत्सर्जन करती हैं। इन्हीं ग्रंथियों में से एक हैं थायराइड ग्रंथि जो गले में स्थिति होती हैं और थायरॉइड हार्मोन रिलीज करती है। थायरॉइड हार्मोन शरीर का मेटाबॉलिज्म नियंत्रित करने का काम करती हैं। इससे निकलने वाले हार्मोन का बढ़ना या घटना थायराइड की समस्या कहलाती हैं जिससे शरीर में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं। थायराइड आज के समय में होने वाली एक सामान्य मेडिकल कंडीशन है। थायराइड डिसऑर्डर जिंदगी भर चलने वाली बीमारियों में से एक हैं, लेकिन इसे योग और प्राणायाम की मदद से कंट्रोल किया जा सकता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे योग और प्राणायाम बताने जा रहे हैं जो थायराइड की समस्या को दूर करने में मदद करेंगे।
अनुलोम-विलोम
अनुलोम-विलोम करने के लिए सबसे पहले पद्माशन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी अंगुली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे दाएं नाक से अंगूठे को हटाकर सांस को बाहर निकाल दें। इस आसन का 15 मिनट से लेकर आधा घंटा तक करें। इससे थायराइड में लाभ होगा।
कपालभाति
कपालभाति शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इससे शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इसे आप रोजाना 10-15 मिनट तक जरूर करें। इसके लिए सबसे पहले वज्रासन या पद्मासन में बैठें और दोनों हाथों को घुटनों पर रखते हुए चित्त मुद्रा बनाएं। गहरी सांस अंदर की ओर लें और झटके से सांस छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खींचें। इस प्रक्रिया को कुछ मिनटों तक लगातार करते रहें। एक बार में इसे 35 से लेकर 100 बार तक करना बेहतर होता है।
सर्वांगासन
थायरॉइड के लिए सर्वांगासन को भी काफी फायदेमंद माना जाता है। इसे करने के लिए योगा मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। सांस सामान्य रूप से लें। हाथों को जमीन पर रखें और धीरे धीरे कमर से शरीर को ऊपर की तरफ उठाएं। दोनों हाथों को जमीन से उठाएं और पीठ को सपोर्ट करें। इस बीच कोहनियों को जमीन पर टिकाकर रखें। कमर और हिप्स को उठाकर रखें और पूरा वजन हाथों और कंधों पर डालें। कुछ देर इसी स्थिति में रहें। इसके बाद वापस सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम, जिसे हमिंग बी ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है, एक शांत श्वास अभ्यास है जो तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और आपको आपके आंतरिक स्वभाव से जोड़ने में मदद करता है। इसके लिए शांत और अच्छी हवादार जगह पर बैठें और अपनी आँखें बंद कर लें। अपनी तर्जनी उँगलियों को दोनों कानों पर रखें। मुंह को बंद रखते हुए नाक से ही सांस लें और छोड़ें। सांस छोड़ने के दौरान ऊँ का उच्चारण भी कर सकते हैं। इस प्रकिया को 5 से 7 बार दोहराएं।
शीर्षासन
शीर्षासन के लिए जमीन पर योगा मैट बिछाएं। इसके बाद घुटनों के बल बैठकर वज्रासन की मुद्रा में आ जाएं। अपने हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर इंटरलॉक करें। इसके बाद हाथों को जमीन पर रखें। हथेलियों को इस तरह मोड़ें कि वो कटोरी के आकार में हो जाए। धीरे धीरे अपना सिर नीचे झुकाएं और उसे हथेलियों पर रखें। इसके बाद अपने दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाएं और उन्हें स्ट्रेट रखें। इस मुद्रा में कुछ सेकंड तक रुकें। सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इसके बाद वापस सामान्य मुद्रा में आ जाएं। ये अभ्यास किसी एक्सपर्ट की देखरेख में करना सीखें, उसके बाद ही घर पर इसका अभ्यास करें। शुरुआती समय में आप इस अभ्यास को दीवार के सहारे से कर सकते हैं।
उज्जायी प्राणायाम
यह एक साँस लेने की तकनीक है जो हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों को लाभ पहुँचाती है। इस तकनीक से थायरॉयड ग्रंथि को ट्रिगर करती है और आपकी सांस के साथ गले में घर्षण पैदा करती है। इसका 10-11 बार अभ्यास किया जा सकता है। इसके लिए किसी भी आसन पर बैठ इसके पश्चात अपने गले पर ध्यान केंद्रित करें।गले से आने-जाने वाली श्वास का अनुभव करें। श्वांस के गहरी और धीमी हो जाने पर कंठ द्वार को संकुचित करें। अपने फेफड़ों को श्वास के माध्यम से पूरी तरह से भर लें और फिर पूरी तरह से खाली भी करें। आप इसे खड़े होकर या लेट कर भी कर सकते हैं।