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बिस्तर पर लेटे-लेटे रील्स देखने की आदत से बढ़ सकते हैं गंभीर स्वास्थ्य जोखिम, पढ़े पूरी रिपोर्ट

लेटकर रील्स देखने की आदत आपके शरीर और दिमाग पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। जानें गर्दन और रीढ़ की समस्याएं, नींद की गुणवत्ता पर असर, आंखों और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव और स्क्रीन टाइम से बचने के उपाय।

Posts by : Kratika Maheshwari | Updated on: Fri, 07 Nov 2025 8:23:06

बिस्तर पर लेटे-लेटे रील्स देखने की आदत से बढ़ सकते हैं गंभीर स्वास्थ्य जोखिम, पढ़े पूरी रिपोर्ट

आज के डिजिटल युग में रील्स और शॉर्ट वीडियो सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं रहे, बल्कि कई लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन गए हैं। खासकर बिस्तर पर लेटकर लगातार रील्स देखना अब एक आम आदत बन चुका है। हालांकि यह रिलैक्स करने का आसान तरीका लगता है, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार यह आदत धीरे-धीरे शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकती है। आइए जानें लेटकर मोबाइल स्क्रॉल करने के संभावित नुकसान।

गर्दन और रीढ़ पर पड़ता है अत्यधिक दबाव


बिस्तर पर लेटकर मोबाइल देखने पर गर्दन और कंधों का सही एंगल नहीं रहता। इससे मांसपेशियों पर तनाव बढ़ता है और Text Neck Syndrome जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। अमेरिकन ऑस्टियोपैथिक एसोसिएशन के अनुसार, लंबे समय तक झुककर स्क्रीन देखने से गर्दन की हड्डियों पर 27 किलो तक का दबाव पड़ सकता है। यही वजह है कि कई लोग सुबह उठते ही कंधे और गर्दन में अकड़न और दर्द महसूस करते हैं।

नींद की गुणवत्ता पर प्रभाव

सोने से पहले रील्स देखने से नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है। मोबाइल की ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को दबा देती है, जो नींद को नियंत्रित करता है। JAMA Network Open 2023 की स्टडी में यह पाया गया कि जो लोग सोने से पहले फोन का इस्तेमाल करते हैं, उनकी नींद उन लोगों की तुलना में काफी कम और हल्की होती है, जो बिना स्क्रीन टाइम के सोते हैं। लगातार ऐसा करने से इनसोमिया जैसी गंभीर नींद संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।

आंखों पर पड़ते हैं प्रतिकूल असर

मोबाइल की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट आंखों के लिए हानिकारक होती है। National Eye Institute (US) की रिपोर्ट के अनुसार, ब्लू लाइट आंखों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है और डिजिटल आई स्ट्रेन उत्पन्न करती है। इसका परिणाम आंखों में जलन, सूखापन और सिरदर्द के रूप में सामने आता है। विशेषकर रात में कम रोशनी में रील्स देखने से ये समस्याएं और तेज़ी से बढ़ती हैं।

मेंटल हेल्थ पर प्रभाव

रील्स देखने से दिमाग में डोपामाइन हार्मोन रिलीज होता है, जिससे थोड़े समय के लिए अच्छा महसूस होता है। लेकिन लगातार यह आदत बन जाने पर दिमाग पर दबाव बढ़ता है। Centers for Disease Control and Prevention, 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक स्क्रीन टाइम चिंता, डिप्रेशन और ध्यान में कमी जैसी समस्याओं को बढ़ावा देता है। यह मानसिक उत्तेजना को बढ़ाता है और व्यक्ति को बेचैन बना देता है।

कैसे बचें स्क्रीन टाइम के नुकसान से?

मोबाइल स्क्रीन टाइम दिन में 1 घंटे से कम रखें।

सोने से कम से कम 1 घंटा पहले फोन को दूर रखें।

लेटकर नहीं, बैठकर स्क्रीन देखें।

हर 20 मिनट में आंखों को आराम दें।

योग, स्ट्रेचिंग और नियमित शारीरिक गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

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