
आम तौर पर माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथ गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ता जाता है। विशेषकर कैंसर को लेकर यह धारणा और भी मजबूत है कि बुजुर्गों में इसका जोखिम अधिक होता है। लेकिन स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक हालिया स्टडी ने इस सोच को नए सिरे से चुनौती दी है। अध्ययन में पाया गया कि 85 वर्ष की आयु पार करने के बाद कैंसर होने की आशंका में हैरान करने वाली गिरावट देखी जाती है।
हालाँकि, पहले भी कुछ रिपोर्टों में इस तरह के ट्रेंड संकेत मिले थे कि मध्यम आयु और शुरुआती बुजुर्गावस्था में कैंसर के मामले बढ़ने के बाद बहुत अधिक उम्र में यह खतरा स्थिर हो जाता है या घटने लगता है। इसी पैटर्न को वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए स्टैनफोर्ड के शोधकर्ताओं ने विस्तृत अध्ययन किया।
क्या बढ़ती उम्र से सच में कम हो जाता है कैंसर का रिस्क?
स्टैनफोर्ड की यह रिसर्च जेनेटिकली मॉडिफाइड चूहों पर आधारित है। शोधकर्ताओं ने चूहों में KRAS जीन म्यूटेशन डाला—जो कैंसर पैदा करने वाले सबसे आम और खतरनाक म्यूटेशन में शामिल है। इसके जरिए चूहों में फेफड़ों का कैंसर विकसित किया गया। अध्ययन में दो प्रकार के चूहे शामिल किए गए—एक समूह में 4 से 6 महीने आयु के युवा चूहे और दूसरे समूह में 21 से 22 महीने आयु के वृद्ध चूहे थे।
रिसर्च के नतीजों ने वैज्ञानिकों को भी चकित कर दिया। पाया गया कि वृद्ध चूहों में ट्यूमर बनने की प्रक्रिया युवा चूहों की तुलना में दो से तीन गुना कम थी। यानी उम्र बढ़ने के बावजूद कैंसर कोशिकाओं के विकसित होने का खतरा घटता हुआ दिखा।
उम्र बढ़ने पर कैंसर का खतरा क्यों कम हो जाता है?
अध्ययन से मिले निष्कर्षों के अनुसार, बढ़ती उम्र के साथ शरीर में कुछ प्राकृतिक जैविक प्रक्रियाएँ सक्रिय हो जाती हैं जो ख़तरे को कम करती हैं। इन प्रक्रियाओं का प्रभाव यह होता है कि भले ही उम्र के साथ शरीर में कैंसर पैदा करने वाले म्यूटेशन बढ़ते जाते हों, लेकिन एजिंग टिश्यू इन म्यूटेशन को ट्यूमर में बदलने से रोक देते हैं।
इस रिसर्च में यह भी पाया गया कि ट्यूमर सप्रेसर जीन—जो शरीर को कैंसर से बचाने का काम करते हैं—युवा चूहों में आसानी से निष्क्रिय हो जाते हैं, जबकि बुजुर्ग चूहों में ये जीन अधिक सक्रिय रहते हैं।
इसी वजह से कैंसर बनने की संभावना उम्र अधिक होने पर उल्टा कम हो जाती है। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि इस खोज के आधार पर भविष्य में कैंसर रोकथाम और इलाज के नए तरीके विकसित किए जा सकते हैं। यह अध्ययन चिकित्सा जगत को उम्र और कैंसर के संबंध को नई दिशा से समझने का अवसर देता है।
कैंसर रोकथाम पर डब्ल्यूएचओ की चेतावनी — ये हैं सबसे बड़े कारण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि करीब 30 से 35 प्रतिशत कैंसर पूरी तरह रोके जा सकते हैं, अगर लोग कुछ प्रमुख जोखिमों से बचें।
WHO के अनुसार कैंसर के मुख्य कारण हैं—
- तंबाकू सेवन
- शराब का अत्यधिक उपयोग
- संक्रमण जैसे हेपेटाइटिस और HPV
- खराब खानपान
- मोटापा
- पर्यावरणीय कारण जैसे वायु प्रदूषण
- विकिरण (रेडिएशन)
कार्सिनोजेन के संपर्क में आना
WHO का मानना है कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर, हानिकारक आदतों से दूरी बनाकर और आवश्यक टीकाकरण लेकर कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी सुझाव को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।














