
बिहार की राजनीति एक बार फिर हिंसा से दागदार हो गई है। मोकामा विधानसभा क्षेत्र में जनसुराज प्रत्याशी के समर्थक दुलारचंद यादव की रहस्यमयी मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। शुरुआती रिपोर्टों में इसे गोली लगने का मामला माना जा रहा था, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पूरी तस्वीर ही बदल दी। रिपोर्ट में सामने आया है कि दुलारचंद को गोली नहीं लगी थी, बल्कि उनके शरीर पर किसी भारी वस्तु से जोरदार दबाव डाला गया था। इसी दबाव के चलते उनके सीने और फेफड़ों पर अत्यधिक असर पड़ा, जिससे फेफड़ा फट गया और फिर हार्ट फेलियर की वजह से उनकी जान चली गई।
अब सवाल उठता है — आखिर फेफड़ा फटता कैसे है और क्या इसके बाद इंसान के बचने की कोई संभावना होती है?
फेफड़ा फटने की स्थिति क्या होती है?
मेडिकल साइंस में फेफड़े फटने को ‘लंग रप्चर’ (Lung Rupture) या ‘प्नूमोथोरैक्स’ (Pneumothorax) कहा जाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब फेफड़े की दीवार या उसके अंदर मौजूद एयर सैक (Air Sac) फट जाते हैं। इससे हवा बाहर निकलकर छाती की झिल्ली (Pleural Cavity) में भर जाती है। जब यह हवा झिल्ली के अंदर फंस जाती है, तो उसका दबाव बढ़ने लगता है और फेफड़ा सिकुड़ने लगता है। नतीजतन, व्यक्ति को सांस लेने में भारी कठिनाई होती है। अगर तुरंत इलाज न मिले, तो यह स्थिति कुछ ही मिनटों में जानलेवा साबित हो सकती है।
कितनी घातक होती है यह स्थिति?
फेफड़े का फटना सुनने में जितना डरावना लगता है, असल में यह उससे कहीं ज्यादा खतरनाक होता है। कई बार यह स्थिति इतनी तेजी से बिगड़ती है कि रक्तचाप अचानक गिर जाता है, दिल की धड़कन रुक जाती है, और कुछ ही पलों में मौत हो जाती है। अगर फेफड़ा हल्का फटा हो और मरीज को समय पर चिकित्सा मिल जाए, तो उसकी जान बच सकती है। डॉक्टर आमतौर पर चेस्ट ट्यूब डालकर फंसी हुई हवा बाहर निकालते हैं या सर्जरी के ज़रिए झिल्ली की मरम्मत करते हैं। लेकिन अगर दोनों फेफड़ों पर दबाव पड़ जाए या डुअल रप्चर की स्थिति बन जाए, तो दिल और ऑक्सीजन सप्लाई दोनों पर असर पड़ता है, जिससे मृत्यु लगभग तय होती है।
किन कारणों से फट सकता है फेफड़ा?
फेफड़ा फटने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे प्रमुख है — भारी दबाव या चोट लगना। अगर किसी व्यक्ति के सीने पर किसी ठोस वस्तु या भारी चीज से जोरदार प्रहार होता है, तो फेफड़े की दीवारें फट सकती हैं। यही आशंका दुलारचंद यादव के मामले में भी जताई जा रही है। इसके अलावा कुछ दुर्लभ मामलों में फेफड़ा अत्यधिक खांसी, अचानक प्रेशर बदलने, या फेफड़ों में संक्रमण की वजह से भी फट सकता है।
इस स्थिति में तुरंत इलाज ही एकमात्र उपाय है। अगर देरी हो जाए, तो मरीज की जान बचाना लगभग असंभव हो जाता है।














