Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि में आज मां कालरात्रि की पूजा, पढ़ें पौराणिक कथा
By: Priyanka Maheshwari Tue, 28 Mar 2023 09:07:00
चैत्र नवरात्रि का आज सातवां दिन है। आज मां कालरात्रि की पूजा होगी। नाम से ही जाहिर है कि इनका रूप भयानक है। मां कालरात्रि त्री नेत्रधारी हैं। इनके गले में विद्युत की अद्भुत माला है। इनके हाथों में खड्ग और कांटा है। गधा देवी का वाहन है। इनका रूप भले ही भयंकर हो लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। इसीलिए ये शुभंकरी कहलाईं अर्थात् इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत या आतंकित होने की कतई आवश्यकता नहीं। उनके साक्षात्कार से भक्त पुण्य का भागी बनता है। कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम आसुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। ये ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि भय दूर हो जाते हैं। इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है।
मां कालरात्रि की पूजा विधि
मां कालरात्रि के समक्ष घी का दीपक जलाएं। देवी को लाल फूल अर्पित करें। साथ ही गुड़ का भोग लगाएं। देवी मां के मंत्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें। फिर लगाए गए गुड़ का आधा भाग परिवार में बाटें। बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दान कर दें। इस दिन काले रंग के वस्त्र धारण करके तंत्र-मंत्र की विद्या से किसी को नुकसान ना पहुंचाएं।
मां कालरात्रि की उत्पत्ति की कथा
कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था। इससे चिंतित होकर सभी देवतागण भगवान शिव के पास गए। शिवजी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा। शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया। लेकिन जैसे ही दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए। इसे देख मां दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।