महाराष्ट्र : सामने आया सरकार गठन का नया फॉर्मूला, ढाई-ढाई साल रह सकते हैं शिवसेना-NCP के CM, डिप्टी CM कांग्रेस का

By: Pinki Wed, 13 Nov 2019 1:29:48

महाराष्ट्र : सामने आया सरकार गठन का नया फॉर्मूला, ढाई-ढाई साल रह सकते हैं शिवसेना-NCP के CM,   डिप्टी CM कांग्रेस का

बीजेपी का साथ छोड़ चुकी शिवसेना को अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री होने की ख्वाहिश पूरी करने के लिए कांग्रेस-एनसीपी का साथ पाना जरूरी है। जिसके लिए शिवसेना लगातार एनसीपी और कांग्रेस को मनाने में लगी है। वही खबर आ रही है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन का एक नया फार्मूला सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक ढाई-ढाई साल शिवसेना और NCP का मुख्यमंत्री होगा और पूरे 5 साल के लिए कांग्रेस का उपमुख्यमंत्री होगा।

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर बीजेपी और महबूबा मुफ़्ती वैचारिक मतभेदों को दूर करते हुए साथ काम कर सकते हैं तो मौजूदा स्थिति में उनकी पार्टी कांग्रेस और एनसीपी के साथ काम करने का फ़ॉर्मूला खोज़ लेंगे।

उद्धव ठाकरे ने ये भी कहा कि बीजेपी के PDP और नीतीश के साथ समझौते की जानकारी मंगवाई है, जिससे ये समझ सकें की अलग-अलग विचारधारा वाले दल कैसे साथ आते हैं। एक सवाल के जवाब में उद्धव ने ये भी कहा कि विकल्प बीजेपी ने ख़त्म किए हैं, उनकी पार्टी ने नहीं। बता दें कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को ही कहा था कि भारतीय जनता पार्टी भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए अनाधिकारिक माध्यमों से अभी भी संपर्क कर रही है। ठाकरे ने कहा कि वे हर बार अस्पष्ट और अलग-अलग प्रस्ताव दे रहे हैं। लेकिन हमने कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ जाने का निर्णय लिया है।

दरअसल, बीजेपी के इनकार के बाद राज्यपाल ने उसी दिन शिवसेना को ऑफर दिया और 24 घंटे के अंदर सरकार का दावा पेश करने के लिए कहा। इस ऑफर को पूरा करने के लिए शिवसेना को एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन जरूरी था। लिहाजा, बातचीत और चर्चाओं का दौर शुरू हुआ। एनसीपी ने शर्त रखी कि शिवसेना एनडीए से बाहर होती है तो वह समर्थन पर विचार करेगी। शिवसेना ने एनसीपी की यह शर्त मान ली और अगली सुबह यानी 11 नवंबर को मोदी कैबिनेट में अपने इकलौते मंत्री अरविंद सावंत का इस्तीफा करा दिया। 11 नवंबर को एक तरफ अरविंद सावंत का इस्तीफा हुआ तो दूसरी तरफ दिल्ली में कांग्रेस और मुंबई में एनसीपी की बैठकों का दौर शुरू हुआ। देर शाम तक बैठकें चलती रहीं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया और शिवसेना अपना दावा पेश नहीं कर सकी, जिसके बाद राज्यपाल ने एनसीपी को सरकार का ऑफर दे दिया। एनसीपी भी समर्थन पत्र देने के बजाय राज्यपाल से वक्त मांगने लगी जिसके बाद राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

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