निर्भया फंड को राज्य सरकारों ने ठंडे बस्ते में डाला, जनहित याचिका पर HC ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब
By: Pinki Sat, 09 Jan 2021 09:33:45
हिंसा पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं के सहायता के लिए बनाए गए निर्भया फण्ड का इस्तेमाल न करने की शिकायत को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए 2 फरवरी को पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस शमशेरी की खण्डपीठ ने अधिवक्ता ममता सिंह की जनहित याचिका पर दिया है।
जनहित याचिका में निर्भया फंड राशि के साथ खर्च और महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाये गए कदमों का ब्यौरा देने की मांग की गई है। याची का कहना है कि दिल्ली में 2013 में हुए निर्भया काण्ड के बाद केंद्र सरकार ने महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा के लिए 1000 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृति की थी। जिसके लिए केंद्र सरकार ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। निर्भया फण्ड बनाकर इकट्ठा करोडों की राशि राज्य सरकारों को आवंटित की गई लेकिन राज्य सरकार द्वारा इस फण्ड को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
दायर याचिका में कहना है कि 18 राज्यों के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार केवल 15% फंड खर्च किया गया। 2019 तक महाराष्ट्र में एक भी पैसा खर्च नही किया गया। त्रिपुरा और केरल ने अपने निर्भया फंड से मात्र 3%, मणिपुर ने 4%, गुजरात, पश्चिम बंगाल और दिल्ली ने 5-5% खर्च किया और तेलंगाना, कर्नाटक और उड़ीसा ने अपने निर्भया फण्ड से केवल 6% व्यय किया।
दूसरी ओर महिला और बालिकाओं के विरुद्ध हिंसा में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हुई है। सरकार के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की 3,29,243 घटना रिपोर्ट हुई जबकि 2016 में यह आंकड़ा बढ़कर 3,38,954 हो गया। 2017 में यह आंकड़ा 3,59,849 को छू गया। बालिकाओं के विरुद्ध भी हिंसा के आंकड़े दिल दहलाने वाले हैं। 2015 में 94,172, 2016 में ये बढ़कर 1,06,958 हो गया वहीं, 2017 में यह आंकड़ा 129032 को छू गया।
दायर याचिका में कहना है कि 2017 में देश में बलात्कार की 32,559 घटनाएं रिपोर्ट हुईं, जिसमें नाबालिग बालिकाओं से रेप की घटना 17,382 (53%) रही। उत्त्तर प्रदेश में अपहरण की 8,721 घटनाओं में 80.67% अपहरण बालिकाओं के हुए हैं। याचिका में अपराध पर नियंत्रण करने तथा अपराध पीड़िताओं के इलाज, पुनर्वास आदि के लिए बने फंड का सदुपयोग करने का समादेश जारी करने की मांग की गई है।