दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन का इंतजार किया जा रहा हैं ताकि इस कोरोना कहर को कम करते हुए आम जिंदगी की तरफ बढ़ा जाए। ऐसे में कई वैक्सीन ट्रायल के विभिन्न चरण में हैं और ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन अपने अंतिम चरण में हैं जिसके परिणाम सकारात्मक दिखाई दे रहे हैं। परीक्षण के परिणामों के मुताबिक लगभग 24,000 लोगों में से मात्र तीन लोगों में ही वैक्सीन के दुष्परिणाम देखे गए। मेडिकल जर्नल लांसेट में छपे परिणामों की माने तो जिन लोगों को वैक्सीन दी गई, उनमें से ना ही किसी की मृत्यु हुई और ना ही किसी को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
90 फीसदी तक प्रभावी है वैक्सीन
लांसेट में छपे शोध में बताया गया है कि परीक्षण के दौरान कोरोना वैक्सीन को दो फुल डोज देने पर 62 फीसदी प्रभावी क्षमता और पहले आधा डोज फिर पूरा डोज देने पर करीब 90 फीसदी प्रभावी क्षमता देखने को मिली। अब दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने आशा जताई कि कोरोना वैक्सीन को आने वाले सप्ताह में नियामक संस्था से स्वीकृति मिल जाएगी। ऑक्सफर्ड की वैक्सीन के ट्रायल डाटा के मुताबिक ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में 23,745 लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। इनमें से 82 फीसदी लोग 18 से 55 साल के बीच के थे। बाद में 56 साल या उससे ज्यादा की उम्र के लोगों को इस ट्रायल का हिस्सा बनाया गया।
तीन लोगों में ही दुष्प्रभाव देखे गए
लांसेट में छपे शोध में कहा गया है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को पूरी तरह से सुरक्षित पाया गया है। परीक्षण के दौरान लगभग 24,000 लोगों में से तीन लोगों में गंभीर दुष्प्रभाव देखे गए, जो संभवतः वैक्सीन से जुड़े हुए थे। शोध में बताया गया कि ये तीन लोग या तो अब ठीक हो गए हैं या फिर ठीक होने की कगार पर हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के लोअर डोज ने फुल डोज के मुकाबले ज्यादा बेहतर तरीके से काम किया है।
भारत के लिए राहत की खबर
लांसेट का ताजा शोध भारत के लिए खुशखबरी माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राजेेनेका के साथ वैक्सीन की 100 करोड़ डोज बनाने की डील कर रखी है। भारत में इस वैक्सीन को जनवरी तक अप्रूवल मिलने की संभावना है। वहीं केंद्र सरकार जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने पर विचार कर रही है।