5 विपक्षी नेता राष्ट्रपति से मिले, एक सुर में बोले - कृषि कानूनों को वापस ले सरकार

By: Pinki Wed, 09 Dec 2020 11:34:26

5 विपक्षी नेता राष्ट्रपति से मिले, एक सुर में बोले - कृषि कानूनों को वापस ले सरकार

कृषि कानूनों पर सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच 6 दौर की बातचीत और सरकार के प्रस्ताव भेजने पर भी कोई रास्ता नहीं निकल सका है। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को बुधवार को सिरे से खारिज कर दिया। किसान नेताओं ने इसके साथ ही ऐलान भी कर दिया है कि कृषि कानूनों के रद्द होने तक आंदोलन जारी रहेगा। किसानों ने आंदोलन तेज करने की रुपरेखा भी तय की है। वहीं, इस बीच विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज यानी बुधवार को राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करके एक सुर में कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की। उन्‍होंने कहा क‍ि सरकार को किसानों की बातों को समझना चाहिए। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और सीताराम येचुरी के साथ ही विपक्ष के अन्‍य नेता भी शामिल थे।

राष्‍ट्रपति से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, 'किसान ने देश की नींव रखी है और वो दिनभर इस देश के लिए काम करता है। ये जो बिल पास किए गए हैं, वो किसान विरोधी हैं। प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि ये बिल किसानों के हित के लिए है, सवाल ये है कि किसान इतना गुस्सा क्यों है। इन बिलों का लक्ष्य मोदीजी के मित्रों को एग्रीकल्चर सौंपने का है। किसानों की शक्ति के आगे कोई नहीं टिक पाएगा। हिंदुस्तान का किसान डरेगा नहीं, हटेगा नहीं, जब-तक ये बिल रद्द नहीं कर दिया जाता।'

शरद पवार ने कहा कि कृषि बिलों की गहन चर्चा के लिए सभी विपक्षी दलों ने एक अनुरोध किया था और कहा था कि इसे सलेक्‍ट कमेटी के पास भेजा जाए। लेकिन दुर्भाग्‍य से इस सुझाव को स्‍वीकार नहीं किया गया और बिलों को जल्‍दबाजी में पारित कर दिया गया। शरद पवार ने कहा कि इस ठंड में किसान अपनी नाराजगी जताते हुए शांतिपूर्ण तरीके से सड़कों पर उतर रहे हैं। इस मुद्दे को हल करना सरकार का कर्तव्य है।

राष्‍ट्रपति से मुलाकात के बाद सीताराम येचुरी ने कहा कि हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया है। हम कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल को रद्द करने के लिए कह रहे हैं, जिसे लोकतांत्रिक तरीका अपनाए बिना पारित किया गया। 25 से अधिक विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के प्रति अपना समर्थन दिया है। ये कानून भारत के हित में नहीं हैं और इससे हमारी खाद्य सुरक्षा को भी खतरा है।

उधर, गृहमंत्री अमित शाह से किसानों की मंगलवार को हुई बैठक के बाद बुधवार को सरकार ने किसान नेताओं को प्रस्ताव भेजा, लेकिन किसानों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। किसान नेताओं ने कहा कि प्रस्ताव गोल-मोल है। सरकार भलाई की बात कह रही है, लेकिन ये कैसे करेगी, स्पष्ट नहीं है। इसके बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर गृह मंत्री के घर पहुंचे। दोनों के बीच करीब ढाई घंटे तक मीटिंग हुई। सरकार की ओर से मिले प्रस्ताव के बाद किसान नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग की। बैठक के बाद किसानों ने औपचारिक प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी बात कही, जिसमें आगे का प्लान बताया गया।

किसानों का क्या है आगे का प्लान

- रिलायंस के प्रोडक्‍ट्स का बहिष्कार करने का ऐलान

-14 दिसंबर को देशभर में धरना-प्रदर्शन होगा

- दिल्ली की सड़कों को करेंगे जाम

- दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-आगरा हाइवे को 12 दिसंबर को रोका जाएगा

- पूरे देश में आंदोलन तेज होगा

- सरकार के मंत्रियों का घेराव होगा

- 14 दिसंबर को बीजेपी के ऑफिस का घेराव होगा

- 14 दिसंबर को हर जिले के मुख्यालय का घेराव होगा

- 12 दिसंबर को सभी टोल प्लाजा फ्री करेंगे

- कृषि कानूनों के वापस होने तक आंदोलन जारी रहेगा

-दिल्‍ली और आसपास के राज्‍यों से 'दिल्‍ली चलो' की हुंकार भरी जाएगी

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा- किसान पीछे नहीं हटेंगे। यह सम्मान का मुद्दा है। क्या सरकार कानून वापस नहीं लेना चाहती? क्या किसानों पर अत्याचार होगा? अगर सरकार जिद पर अड़ी है तो, किसान भी अपनी बात पर डटे हैं। कानून वापस होने ही चाहिए।

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