आज दोपहर 2 बजे सरकार और किसानों के बीच 5वें दौर की बातचीत; 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान
By: Pinki Sat, 05 Dec 2020 09:06:18
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन शनिवार को 10वें दिन भी जारी हैं। आज दोपहर 2 बजे किसानों और सरकार के बीच 5वें दौर की बातचीत होनी है। इससे पहले किसानों ने शुक्रवार को कहा कि अगर कानून वापस नहीं लिया गया तो वे 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे। किसानों ने सभी टोल प्लाजा पर कब्जे की भी चेतावनी दी है। किसान चिल्ला बॉर्डर (दिल्ली-नोएडा लिंक रोड) पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
शुक्रवार को किसानों की मीटिंग के बाद उनके नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने कहा- आने वाले दिनों में दिल्ली की बची हुई सड़कों को भी ब्लॉक करेंगे। किसान संगठन पहले ही कह चुके हैं कि 5 दिसंबर यानी शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए जाएंगे। एक किसान ने कहा कि अगर सरकार के साथ बातचीत में आज कोई नतीजा नहीं निकला तो फिर संसद का घेराव करेंगे।
कोरोना टेस्ट के लिए तैयार नहीं
टिकरी-कुंडली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे 170 से ज्यादा किसान बुखार और खांसी से पीड़ित हैं। यहां लगे कैंपों में हजारों किसान दवा ले रहे हैं। अपील के बावजूद किसान कोरोना टेस्ट नहीं करवा रहे हैं। तीन किसानों की मौत हो चुकी है। समर्थन देने पहुंचे महम विधायक बलराज कुंडू कोरोना पॉजिटिव मिले। हरियाणा भाकियू के प्रवक्ता राकेश बैंस ने बताया- 'किसानों से अपील कर रहे हैं कि तबीयत खराब होते ही चेकअप करवा कर दवाई लें। जिन्हें बुखार है, वे कोरोना टेस्ट भी कराएं। करीब एक हजार किसान दवा ले चुके हैं।'
केंद्र सुधारों पर राजी, किसान कानून वापसी पर अड़े
किसानों और केंद्र के बीच गुरुवार को चौथे दौर की बातचीत 7 घंटे चली। इसके बाद साफ हो गया था कि आंदोलन अभी थमेगा नहीं। क्रांतिकारी किसान यूनियन के लीडर दर्शनपाल ने कहा- केंद्र कानूनों में कुछ सुधार पर राजी है, पर हम नहीं। हमने उन्हें बता दिया है कि पूरे कानून में ही खामी है। लिहाजा, इन्हें वापस लिया जाए।
बता दे, किसान कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर ठोस भरोसा चाहते हैं। वहीं केंद्र सरकार कानूनों को वापस लेने की बात तो नहीं मान रही है लेकिन किसानों की कुछ ऐसी मांग हैं जिनपर सरकार राजी होती दिख रही है। केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि वह किसान यूनियनों द्वारा की गई मांगों पर विचार कर रहा है और शनिवार को होने वाली पांचवें दौर की वार्ता में सफलता का विश्वास व्यक्त किया है।
राजस्थान से किसान नेता रणजीत सिंह राजू ने कहा कि चल रहा आंदोलन देश के सभी किसानों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि अगर इस मुद्दे पर लोगों की भावनाओं को नहीं समझा जाता है या इसके कारण कुछ भी घटित होता है तो इसके लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार होगी। किसान समुदाय को आशंका है कि केन्द्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की 'अनुकंपा' पर छोड़ दिया जायेगा। सरकार लगातार कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और इनसे कृषि में नई तकनीकों की शुरूआत होगी।