दिल्लीवालों को बड़ी राहत, CM केजरीवाल ने कहा - अब मौसम साफ, ऑड-ईवन की जरूरत नहीं

By: Pinki Mon, 18 Nov 2019 1:57:56

दिल्लीवालों को बड़ी राहत, CM केजरीवाल ने कहा - अब मौसम साफ,  ऑड-ईवन की जरूरत नहीं

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज सोमवार को दिल्लीवालों को बड़ी राहत देते हुए कहा कि अब मौसम साफ हो गया है और ऑड-ईवन की जरूरत नहीं है। दरअसल, दिल्ली में प्रदूषण के बढ़तें स्तर को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने 4 से 15 नवंबर तक ऑड-ईवन योजना लागू की थी जिसका शुक्रवार को आखिरी दिन था। खबर थी कि केजरीवाल सरकार ऑड-ईवन योजना को आगे भी बढ़ा सकती है जिसपर फैसला शुक्रवार को लेना था लेकिन इस फैसले को सोमवार को लेने की बात कही गई थी।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि अब मौसम साफ हो गया है। अब ऑड-ईवन की जरूरत नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग कह रहे थे दिल्ली की हवा में केवल 5% ही फसलों का प्रदूषण है तो क्या केवल 5% प्रदूषण कम होने से एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 से ज्यादा से 200 से कम हो गया? उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण पर राजनीति नहीं, साफ नीयत से सबको मिलकर काम करने की जरूरत है।

आगे केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के हलफनामे का जिक्र भी किया। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली का योगदान 5% ही है। हालांकि, दिल्ली में इस तरह को कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे यह साफ हो सके कि प्रदूषण में किस चीज का कितना योगदान है।

बता दे, दरअसल, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार का 'ऑड-ईवन' फॉर्मूला एक 'तमाशा' है। कोर्ट ने पूछा कि पराली जलाने से अक्टूबर और नवंबर के महीनों में जब पहले से प्रदूषण की मात्रा बढ़ी हुई है तो ऐसे समय में 'ऑड-ईवन' की जरूरत क्यों है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि ऐसे प्रयोग की जरूरत थी तो दिल्ली सरकार को यह प्रयोग अगस्त और सितंबर महीने में करना चाहिए था। तब जाकर इससे पता चलता कि 'ऑड ईवन' से प्रदूषण पर रोक लग पा रही है कि नहीं।

कच्ची कॉलोनी के मुद्दे को लेकर केंद्र पर साधा निशाना

कच्ची कॉलोनी के मुद्दे पर सीएम केजरीवाल ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि हम 4 साल तक केंद्र सरकार पर दबाव बनाते रहे। हमने सेटेलाइट के नक्शे केंद्र सरकार को भेज दिए थे। दबाव के बावजूद अब चुनाव से पहले केंद्र ने काम शुरू किया। किसी के बहकावे मत आना। कोई वेबसाइट नंबर दे रहा है। कोई सर्टिफिकेट देता था, केजरीवाल आपको रजिस्ट्री दिलवाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कच्ची कॉलोनी को पक्की नहीं किया गया तो पूरी दिल्ली में आंदोलन होगा। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के कई इलाकों में सीवर की पाइप लाइन डाल दी गई है, लेकिन लोग पाइप लाइन डालने के बावजूद सीवर के कनेक्शन नहीं ले रहे हैं। ऐसे में सीवेज नालियों में बहाया जा रहा है जिससे यमुना में गंदगी जा रही है।

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्लीवालों को राहत देते हुए कहा कि कैबिनेट ने फैसला लिया है कि राजधानी दिल्ली में जहां सीवेज लाइन डाली गई है, वहां 31 मार्च तक नए सीवर के लिए आवेदन करते हैं तो कोई भी चार्ज नहीं लिया जाएगा। दिल्ली में 31 मार्च तक आवेदन करने पर सीवर कनेक्शन फ्री में दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि 31 मार्च तक आवेदन करने वालों को डेवलपमेंट, कनेक्शन और रोड कटिंग चार्ज नहीं देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जिन्होंने कनेक्शन नहीं लिया है उन्हें खुद खत लिखूंगा।

पानी पर भारतीय मानक ब्यूरो की रिपोर्ट को बताया' झूठी और राजनीति से प्रेरित'

वही राजधानी दिल्ली के पानी पर भारतीय मानक ब्यूरो की रिपोर्ट को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 'झूठी और राजनीति से प्रेरित' करार दिया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में पीने का पानी गुणवत्ता जांच में असफल रहा है। केजरीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार के मंत्री लोगों में डर पैदा कर रहे हैं। केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए केजरीवाल ने कहा कि या तो राम विलास पासवान सही हैं या फिर गजेंद्र सिंह शेखवात सही हैं? मैं राम विलास पासवान को चैलेंज करता हूं, हमारे साथ आएं और सैम्पल उठाएं। आने वाले दिनों में मीडिया की मौजूदगी में पानी के सैम्पल उठाएंगे, मैं राम विलास पासवान को आमंत्रित करता हूं।

केजरीवाल ने गजेंद्र सिंह शेखवात और मनोज तिवारी का बयान पढ़ते हुए कहा कि 26 सितंबर को केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखवात ने बयान दिया था कि यूरोप के मानक से बेहतर है दिल्ली का पानी। मनोज तिवारी ने भी जल मंत्री के इस बयान का समर्थन किया था। उन्होंने आगे कहा कि 11 सैम्पल से शहर के पानी को अच्छा या बुरा नहीं बता सकते। वे यह नहीं बता रहे कि किस पते से सैम्पल उठाए गए। उन्हें दिल्ली में कम से कम 2000 सैम्पल उठाने चाहिए थे, जबकि खुद दिल्ली जल बोर्ड 500 सैम्पल रोज उठाता है।

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