
बांग्लादेश की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने और मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी माना है। अदालत ने कठोर फैसला देते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई है। न्यायालय की राय में, हसीना ने प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए घातक हथियारों और ड्रोन का उपयोग करने का आदेश दिया था, और उनके साथियों ने भी इस समय मानवाधिकारों का उल्लंघन किया।
न्यायालय ने कहा कि हसीना ने राज्य व्यवस्था की जिम्मेदारी पूरी तरह निभाने में विफलता दिखाई। साक्ष्यों से यह भी स्थापित हुआ कि पुलिस महानिरीक्षक (IGP) इस मामले में गंभीर भूमिका में हैं। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि 19 जुलाई के बाद गृह मंत्री के निवास पर लगातार बैठकों का आयोजन किया गया, जिनमें छात्र विरोध को कुचलने की रणनीति तैयार की गई थी। हसीना ने एक कोर कमेटी को सतर्कता और कार्रवाई के लिए निर्देश दिए थे, जबकि अवामी लीग समर्थकों को सक्रिय रूप से विरोध-प्रदर्शनों को दबाने का काम सौंपा गया था। IGP ने पूछताछ में उनकी कथित संलिप्तता स्वीकार की।
सच को उजागर करने के लिए, अदालत ने कुल 54 गवाहों के बयान दर्ज किए और देश भर से इकठ्ठा किए गए दस्तावेज तथा अतिरिक्त स्रोतों को सावधानीपूर्वक परखा। साथ ही, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की रिपोर्ट की समीक्षा की और निष्कर्ष निकाला कि हसीना और गृह मंत्री के आदेशों ने मानवता के विरुद्ध अपराधों को गति दी।














