
अमेरिका में गोलीबारी की घटनाएँ रुकने का नाम नहीं ले रहीं। ताज़ा मामला राजधानी वाशिंगटन डी.सी. का है, जहाँ बुधवार को व्हाइट हाउस से कुछ ब्लॉक दूर अचानक चली गोलियों ने हड़कंप मचा दिया। इस हमले में वेस्ट वर्जीनिया नेशनल गार्ड के दो जवान समेत कुल तीन लोग घायल हो गए। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाकर उपचार शुरू किया गया।
घटना के बारे में मेट्रोपॉलिटन पुलिस के सहायक प्रमुख जेफ कैरोल ने जानकारी देते हुए बताया कि नेशनल गार्ड की टीम नियमित गश्त पर थी, तभी एक हमलावर छिपकर आया और उन पर अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। हमले के बाद तैनात अन्य जवानों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और थोड़ी ही देर में हमलावर को घेरकर गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान अधिकारी हमलावर के इरादों और लक्ष्य को लेकर अलग-अलग पहलुओं की जांच कर रहे हैं।
एफबीआई निदेशक काश पटेल और वाशिंगटन डी.सी. की मेयर म्यूरियल बोसर ने कहा कि दोनों घायल गार्ड सदस्यों की हालत गंभीर बनी हुई है और उनकी देखभाल में विशेषज्ञ डॉक्टर लगे हुए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, झड़प के दौरान कम से कम एक सैनिक ने भी हमलावर पर फायरिंग की, जिससे स्थिति और बिगड़ने से बच गई।
घटना के कुछ ही मिनट बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा गया कि राहतकर्मी एक घायल सैनिक को सीपीआर देते दिखे, जबकि दूसरा जवान टूटे कांच और मलबे से भरे फुटपाथ पर घायल अवस्था में पड़ा था। पास ही खड़े अधिकारी एक अन्य घायल व्यक्ति को संभालते और प्राथमिक उपचार देते दिखाई दिए, जिससे मौके की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
ट्रंप का बड़ा कदम—वाशिंगटन में भेजे जाएंगे 500 अतिरिक्त गार्ड
इस हमले ने सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन को तुरंत सतर्क कर दिया। चूँकि यह घटना व्हाइट हाउस के बेहद करीब हुई थी, इसलिए ट्रंप प्रशासन ने तुरंत 500 और नेशनल गार्ड तैनात करने का आदेश जारी किया। रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने पुष्टि की कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनसे अतिरिक्त सुरक्षा बलों को भेजने का अनुरोध किया था।
सरकारी अपडेट के अनुसार, वर्तमान में वाशिंगटन में सक्रिय संयुक्त टास्क फोर्स के तहत 2,188 सैनिक तैनात हैं। लेकिन गोलीबारी की इस घटना ने राजधानी की सुरक्षा और सैन्य उपस्थिति को लेकर जारी बहस को एक बार फिर तेज कर दिया है।
नेशनल गार्ड की तैनाती पर फिर छिड़ी बहस
वाशिंगटन में नेशनल गार्ड की लगातार उपस्थिति पिछले कई महीनों से विवाद का कारण बनी हुई है। स्थानीय प्रशासन और केंद्र सरकार के बीच मतभेद के चलते कई बार कानूनी लड़ाइयाँ भी सामने आई हैं। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि शहर लगातार बढ़ रहे अपराधों से जूझ रहा है, इसलिए सुरक्षा बलों की तैनाती ज़रूरी है। वहीं आलोचकों का कहना है कि इससे नागरिक अधिकारों और सैन्य उपयोग को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।














