
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने घुसपैठ को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर सीधा हमला बोला है। दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने तीखे शब्दों में सवाल उठाया कि आखिर इतने वर्षों बाद अचानक सरकार को घुसपैठियों की याद कैसे आई? उन्होंने कहा कि यदि वास्तव में सरकार के पास घुसपैठियों से जुड़ी स्पष्ट जानकारी है, तो वह देश को बताए कि वे लोग कौन हैं और कहां हैं।
डिंपल यादव का आरोप है कि भाजपा ऐसे मुद्दे उठाकर वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाना चाहती है। महंगाई, बेरोज़गारी और आम लोगों की जरूरतों पर चर्चा करने की बजाय सरकार ऐसे मुद्दों को हवा देकर जनता को गुमराह करने का काम कर रही है।
“पहचान है तो नाम बताइए”—डिंपल यादव
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए डिंपल यादव ने कहा, “अगर घुसपैठियों का मामला इतना गंभीर है तो सरकार 11 साल से क्या कर रही थी? अचानक क्यों याद आया कि देश में घुसपैठ बढ़ गई है? सरकार के पास तो आंकड़े होंगे ही, तो वह खुद बताएं कि कौन-कौन घुसपैठिया है और कहां है। जांच का जिम्मा किसका है?”
उन्होंने कहा कि जनता असली मुद्दों पर जवाब चाहती है—नौकरियों की कमी, जीवनयापन की बढ़ती लागत और मौलिक सुविधाओं से जुड़ी चुनौतियाँ। ऐसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने की बजाय घुसपैठ जैसे मुद्दों को उछालना भाजपा की “ध्यान भटकाने की राजनीति” है।
सपा की दोहरी मार—अखिलेश यादव भी उठा चुके सवाल
डिंपल यादव से पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इसी सवाल पर भाजपा पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने कहा था कि पिछले 11 सालों से केंद्र और यूपी दोनों जगह भाजपा की सरकार है, फिर सीमा सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की भूमिका पर सवाल क्यों नहीं उठाया जाना चाहिए?
अखिलेश का कहना था कि “घुसपैठ के नाम पर गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को परेशान किया जा रहा है। यह सिर्फ एक राजनीतिक हथकंडा है।”
प्रदेश में विशेष अभियान से बढ़ी बहस
इन दिनों उत्तर प्रदेश में रोहिंग्या और कथित अवैध नागरिकों के खिलाफ एक विशेष अभियान चल रहा है। इसमें खासतौर पर कूड़ा बीनने वाले, सफाई और छोटी मजदूरी करने वाले लोगों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है। जिनकी पहचान संदिग्ध पाई जा रही है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।













