
मंगलवार को बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) मोहित कुमार द्वारा घर पर जहरीला पदार्थ सेवन किए जाने की घटना से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। गंभीर हालत में उन्हें गढ़ रोड स्थित लोकप्रिय अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने तुरंत उन्हें आईसीयू में भर्ती किया। मामले की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में बीएलओ और परिजन अस्पताल पहुँच गए और प्रशासन के खिलाफ नाराज़गी जताते हुए जोरदार हंगामा किया।
एसआईआर के दबाव की बात, मानसिक तनाव का आरोप
हंगामे के दौरान मौजूद बीएलओ साथियों और परिवारजनों का आरोप था कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान में लगातार बढ़ रहे काम के दबाव के कारण मोहित मानसिक रूप से परेशान थे। इसी तनाव की वजह से उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया है।
घटनास्थल पर हालात बिगड़ते देख पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए तीन थानों—मेडिकल, नौचंदी और सिविल लाइन की पुलिस तैनात की गई।
शाम को घर पर लिया घातक कदम
मुरलीपुर फूल गांव, मुंडाली के निवासी और सिंचाई विभाग में लिपिक के पद पर कार्यरत मोहित कुमार की वर्तमान तैनाती मोदीपुरम में थी। मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया में उन्हें बीएलओ की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जानकारी के अनुसार, शाम करीब 7:45 बजे मोहित घर पर मौजूद थे और इसी दौरान बैंगन की फसल के लिए रखी गई कीटनाशक दवा का सेवन कर लिया। तबीयत अचानक बिगड़ने पर परिजन उन्हें तुरंत लोकप्रिय अस्पताल लेकर पहुँचे, जहाँ 8:15 बजे उन्हें भर्ती किया गया।
अस्पताल में बीएलओ का प्रदर्शन, सुपरवाइजर पर आरोप
अस्पताल के बाहर बीएलओ और परिजनों ने प्रशासन पर दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। कुछ बीएलओ ने तो सुपरवाइजर पर ही मोहित को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया और मुकदमा दर्ज करने की मांग की।
सीओ अभिषेक तिवारी ने पहुँचकर प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाया और स्थिति को शांत कराया।
पुलिस का बयान—शिकायत मिलेगी तो होगी कार्रवाई
एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि अस्पताल से बीएलओ द्वारा ज़हरीला पदार्थ खाने की सूचना मिलते ही पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि कानून-व्यवस्था प्रभावित न हो। उन्होंने कहा— “अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। तहरीर मिलने पर नियमानुसार मुकदमा दर्ज किया जाएगा।”
डीएम का दावा—काम का कोई दबाव नहीं, जिम्मेदारी से मुक्त किया गया
जिलाधिकारी डॉ. वीके सिंह ने कहा कि मोहित कुमार ने बीएलओ के रूप में सौंपे गए लगभग 70% कार्य को पूरा कर लिया था और उन पर किसी प्रकार का अतिरिक्त दबाव नहीं था। डीएम ने स्पष्ट किया— “सुपरवाइजर पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। एहतियातन मोहित को बीएलओ की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है।”














