
एक समय था जब घर-घर सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन को भविष्य का सपना माना जाता था। आज वही सपना सच हो चुका है। इसी क्रम में अब एक और बड़ी तकनीकी क्रांति का रास्ता खुल गया है—जल्द ही लोग अपनी छतों पर लगाई गई छोटी पवन चक्कियों (विंड टरबाइन) से भी बिजली पैदा कर सकेंगे, वह भी बेहद कम हवा में। ऊंची इमारतों के बीच बनने वाले प्राकृतिक विंड कॉरिडोर (हवा के गलियारे) इसका बड़ा आधार साबित होंगे।
IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने ऐसा नवीनतम विंड टरबाइन मॉडल विकसित किया है, जो सिर्फ 3.5 मीटर प्रति सेकंड की हल्की हवा में भी बिजली बनाने में सक्षम है। इस मॉडल का आकार कॉम्पैक्ट है, इसलिए इसे सामान्य घरों, छोटे औद्योगिक भवनों और सरकारी कार्यालयों की छतों पर आसानी से स्थापित किया जा सकता है। ऊर्ध्वाधर धुरी (वर्टिकल-एक्सिस) वाली इस टरबाइन से स्वच्छ, पर्यावरण मित्र और निरंतर ऊर्जा प्राप्त की जा सकेगी।
हाल ही में IIT कानपुर के एक्सपो में इसका सफल परीक्षण भी किया गया है। शोधकर्ता इसे भविष्य में ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने की भी तैयारी कर रहे हैं। फिलहाल इसका निर्माण खर्च लगभग 60 हजार रुपये बैठा है—जिसमें 30 हजार का जनरेटर, 10 हजार रुपये का स्टैंड और 20 हजार रुपये के ब्लेड शामिल हैं। व्यावसायिक उत्पादन शुरू होने पर लागत में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है। भारत सरकार ने नवंबर की शुरुआत में इस मॉडल को पेटेंट भी दे दिया है।
यह अभिनव तकनीक IIT के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर देबोपम दास के नेतृत्व में शोधार्थी शिवम श्रीभाटे और सिद्धार्थ की टीम ने तैयार की है। अब तक विंड टरबाइन का उपयोग मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर ऊर्जा उत्पादन के लिए खुली जगहों में किया जाता रहा है, लेकिन यह नया मॉडल शहरों के भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों और सीमित जगह वाली जगहों पर भी बिजली उत्पादन की संभावनाएं बढ़ा देगा।
शोधार्थी शिवम के अनुसार, इस डिजाइन की सबसे खास बात है इसका अत्याधुनिक पिच कंट्रोल मैकेनिज्म। यही तकनीक इसे धीमी हवा में भी चालू कर देती है। साथ ही, टरबाइन के ब्लेड हवा की दिशा के अनुसार खुद को एडजस्ट करने की क्षमता रखते हैं। परीक्षणों में पाया गया कि स्थिर ब्लेड वाले पारंपरिक टरबाइन की तुलना में यह मॉडल लगभग 42% अधिक दक्षता के साथ काम करता है।
इसके छोटे आकार और हल्के ढांचे के कारण इसे इमारतों की छतों पर बिना किसी परेशानी के फिट किया जा सकता है। खास बात यह है कि इसे सोलर पैनल सिस्टम से जोड़कर 24 घंटे बिजली प्राप्त की जा सकती है—दिन में सूरज से और रात में हवा से।
छत या ऊंची इमारत पर लगाए गए इसके छोटे मॉडल से, यदि 12 मीटर प्रति सेकंड की हवा चल रही हो, तो प्रतिदिन लगभग 2 यूनिट और महीने भर में करीब 60 यूनिट बिजली उत्पन्न की जा सकती है। इससे घर के बिजली बिल में बड़ी बचत हो सकती है और ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया जा सकता है।














