
उत्तर प्रदेश में 2027 विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। एसआईआर (Special Intensive Review) की प्रक्रिया को लेकर सपा और बीजेपी के बीच राजनीति जारी है, लेकिन अब पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने जमीन पर भी रणनीति मजबूत कर दी है।
अखिलेश ने एसआईआर की निगरानी के लिए पीडीए प्रहरी तैनात किए हैं, जो प्रदेश की हर विधानसभा और बूथ पर पार्टी समर्थकों के वोटों की लिस्ट में सही तरीके से दर्ज होने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। सपा यह सुनिश्चित करना चाहती है कि बिहार में हुए अनुभव दोहराए न जाएँ। पार्टी जानती है कि वोट चोरी के मुद्दे पर केवल ध्यान देने से अगर अन्य राजनीतिक तैयारी पीछे रह जाए, तो 2027 में इसका बड़ा नुकसान हो सकता है।
बिहार से लिया सबक, रणनीति में बदलाव
समाजवादी पार्टी अब हर कदम सोच-समझकर रख रही है। अखिलेश यादव ने तय किया है कि वोट चोरी के मुद्दे को हल्का लेकिन प्रभावी तरीके से उठाया जाएगा। इसका मकसद यह है कि बिहार जैसा न हो, जहाँ कांग्रेस और तेजस्वी यादव ने वोट चोरी के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, लेकिन वास्तविक नतीजा एनडीए की भारी जीत के रूप में सामने आया।
बिहार में एसआईआर के दौरान कांग्रेस केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस और रिपोर्ट बनाने में व्यस्त रही, जिससे वोटिंग प्रक्रिया पूरी तरह लागू हो गई और नई वोटर लिस्ट में वोटों की संख्या बढ़ गई। इसका फायदा एनडीए को मिला और विपक्ष का मुद्दा उल्टा पड़ गया।
पीडीए प्रहरी: जमीन पर सपा की निगरानी
अखिलेश यादव ने मध्य रास्ता अपनाते हुए एसआईआर की प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए पीडीए प्रहरी तैनात किए हैं। यूपी में सपा का संगठन मजबूत है और पार्टी के पास 403 विधानसभा सीटों में कार्यकर्ता सक्रिय हैं। ये पीडीए प्रहरी बीएलओ के साथ काम करते हुए यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पार्टी के परंपरागत वोटर की जानकारी सही ढंग से लिस्ट में दर्ज हो और किसी दूसरे का गलत वोट न जुड़ पाए।
पार्टी ने यह योजना बिहार की घटनाओं को देखते हुए एक महीने पहले ही तैयार कर ली थी। पीडीए प्रहरियों का मुख्य काम हर वोट की सुरक्षा करना और एसआईआर की प्रक्रिया पर लगातार निगरानी रखना है।
हर ब्लॉक में सक्रिय प्रहरियों की भूमिका
सपा के पीडीए प्रहरी पूरे प्रदेश के हर ब्लॉक में सक्रिय हैं। ये फॉर्म-6 और फॉर्म-7 की प्रक्रिया पर नजर रखते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि 2027 की तैयारी सही दिशा में आगे बढ़े। इस कदम के जरिए पार्टी अपने वोट बैंक की सुरक्षा के साथ-साथ आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति को जमीन पर प्रभावी ढंग से लागू कर रही है।
अखिलेश यादव की यह रणनीति दिखाती है कि सपा ने बिहार के अनुभव से सीख लेकर 2027 विधानसभा चुनाव में पूरी तैयारी कर ली है और पार्टी के पीडीए प्रहरी हर वोट की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।














