
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त असमानता को उजागर करते हुए केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अंग्रेजी भाषा आज के दौर में सामाजिक उन्नति की सबसे बड़ी कुंजी बन चुकी है, लेकिन यह अवसर अभी भी देश के सबसे वंचित वर्गों — दलित, आदिवासी और ओबीसी — से छीना जा रहा है।
यह बयान उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय में उस समय दिया जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने जातिगत जनगणना पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। इस कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी उपस्थित थे।
“भाजपा नेता विरोध करते हैं, लेकिन अपने बच्चों को अंग्रेजी सिखाते हैं”
राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी पर दोहरी मानसिकता अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "जो नेता मंच से अंग्रेजी हटाने की बात करते हैं, उनके अपने बच्चे अंग्रेजी माध्यम के महंगे स्कूलों में पढ़ते हैं। क्या यही है न्याय?"
उन्होंने सवाल उठाया कि जब अंग्रेजी शिक्षा आज के युग में सफलता की गारंटी बन चुकी है, तो फिर इसे देश के गरीबों से क्यों छीना जा रहा है?
“क्या दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग को बेहतर अवसर नहीं मिलने चाहिए? क्या अंग्रेजी सिर्फ अमीरों का अधिकार है?”, उन्होंने पूछा।
कांग्रेस अध्यक्ष श्री @kharge और नेता विपक्ष श्री @RahulGandhi की उपस्थिति में, तेलंगाना के मुख्यमंत्री श्री @revanth_anumula और उपमुख्यमंत्री श्री @Bhatti_Mallu ने आज इंदिरा भवन में कांग्रेस सांसदों के समक्ष तेलंगाना में हुए जातिगत जनगणना पर प्रेजेंटेशन दी।
— Congress (@INCIndia) July 24, 2025
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तेलंगाना की जातिगत जनगणना बनी मॉडल
राहुल गांधी ने तेलंगाना सरकार की खुली और सहभागी जातिगत जनगणना की सराहना करते हुए कहा कि यह एक ऐसा उदाहरण है, जिससे सामाजिक योजनाओं को डेटा आधारित और लक्षित रूप से लागू किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि राज्य के नागरिकों से पूछे गए 56 प्रश्नों में उनके सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को समझने की कोशिश की गई।
“अब तेलंगाना के पास वह ताकत है जिससे वह विकास को मोहल्ले-गली तक लक्षित कर सकता है — जो किसी और राज्य के पास नहीं है,” राहुल गांधी ने कहा।
"अब ताकत तेल में नहीं, डेटा में है"
1950 से 70 के दशक तक दुनिया की आर्थिक ताकत तेल उत्पादक देशों के पास थी। लेकिन राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि अब शक्ति का असली स्रोत आंकड़ों में छिपा है।
“21वीं सदी की नई शक्ति संरचना डेटा पर आधारित है — और तेलंगाना ने यह दिखा दिया कि सही आंकड़ों से कैसे न्यायपूर्ण विकास की दिशा तय की जा सकती है,” उन्होंने जोड़ा।
खरगे बोले: “आज अंग्रेजी जीवन की अनिवार्यता बन चुकी है”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि आज के समय में अंग्रेजी भाषा कोई विलासिता नहीं बल्कि आवश्यकता बन चुकी है।
“कोई भी समाज आर्थिक शक्ति, मानव संसाधन और मानसिक विकास के आधार पर आगे बढ़ता है — और इन तीनों में अंग्रेजी की भूमिका अहम हो गई है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने भाजपा-आरएसएस पर तंज कसते हुए कहा कि “अपने बच्चों को करोड़ों खर्च कर इंटरनेशनल स्कूलों में भेजने वाले नेता दूसरों के बच्चों को वही अवसर देने के खिलाफ क्यों हैं?”
शिक्षा का समान अधिकार ही सच्चा लोकतंत्र
राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व ने साफ संदेश दिया — अगर अंग्रेजी शिक्षा प्रगति का रास्ता है, तो यह केवल उच्च वर्ग के लिए आरक्षित नहीं रहनी चाहिए।
तेलंगाना की तरह यदि अन्य राज्य भी जातिगत आंकड़ों और सामाजिक वास्तविकताओं को आधार बनाकर योजनाएं बनाएं, तो भारत एक अधिक संतुलित और समावेशी समाज की दिशा में बढ़ सकता है।














