तुमसे ज्यादा टैक्स देती हूं... मैं मराठी नहीं बोलूंगी… मैं हिंदुस्तानी हूं, हिंदी में बात करूंगी।
पुणे की सड़कों पर गूंजती ये आवाज़ केवल एक महिला की नहीं, बल्कि उन अनगिनत लोगों की है जो भाषा के नाम पर की जा रही ज़बरदस्ती से परेशान हैं। महाराष्ट्र ही नहीं, देश के कई हिस्सों में भाषा को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता अब आम लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी पर असर डालने लगी है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कुछ कार्यकर्ता अक्सर लोगों से मराठी बोलने की ज़िद करते नजर आते हैं। और इसी संदर्भ में हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला और कुछ स्थानीय लोगों के बीच तीखी बहस होती दिख रही है।
वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग महिला से मराठी में बात करने की मांग कर रहे हैं। इस पर महिला साफ़ कहती है, “मैं हिंदी में बात करूंगी, क्योंकि हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है।” महिला का यह आत्मविश्वास भरा जवाब बहस को और गहरा कर देता है। वीडियो उसी महिला द्वारा रिकॉर्ड किया गया है, जो कैमरे के पीछे से साफ़-साफ़ अपनी बात रखते हुए नजर आती है।
वह व्यक्ति, जो बार-बार महिला से मराठी में बात करने को कह रहा था, उसी पर महिला गुस्से में पलटती है, “जो कुछ तुम मराठी में कह रहे हो, वो मुझे समझ नहीं आ रहा। मैं जो मन में आएगा, वही करूंगी, मैं हिंदुस्तानी हूं।” उसकी आवाज़ में झलकता आत्मसम्मान, किसी भी आम नागरिक की आवाज़ बन गया है।
इस बहस में एक और बात जिसने सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचा, वो था महिला का यह कथन— “मैं तुमसे ज्यादा टैक्स देती हूं। हम हिंदी भाषी लोग ईमानदारी से कमाते हैं, काला धन नहीं छुपाते। जो कमाते हैं, उसका टैक्स सरकार को देते हैं।” उसकी ये बात भी कई लोगों को झकझोर गई।
भाषाई विवाद का शानदार विडिओ देखिए। pic.twitter.com/j6fCHhKAiK
— Govind Bishnoi (@Govind0433) July 4, 2025
महिला की दृढ़ता के सामने अंततः वह व्यक्ति भी चुप हो गया और अपनी गाड़ी में बैठकर वहां से चला गया।
यह घटना केवल एक सड़क पर हुई बहस नहीं है, बल्कि यह उस सवाल को भी जन्म देती है कि क्या भारत जैसे विविधता वाले देश में भाषा को लेकर यह प्रकार की जबरदस्ती उचित है? जब देश की अखंडता विविधताओं में निहित है, तो क्या हमें दूसरों पर भाषा थोपने का अधिकार है?
यह वीडियो इंटरनेट पर हजारों लोगों द्वारा शेयर किया जा चुका है और बहस का मुद्दा बन गया है। कई लोगों ने महिला की साहसिक प्रतिक्रिया की सराहना की है, तो कुछ ने इसे गैर-जरूरी टकराव बताया। लेकिन इतना तो तय है कि यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर कर गई है कि भाषा से ज्यादा जरूरी है आपसी सम्मान और समझ।