
सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति प्रसादम विवाद से जुड़े मामले में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा था कि सीबीआई ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम में प्रसाद बनाने में इस्तेमाल किए जा रहे "मिलावटी घी" की जांच के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन किया है। इस आदेश के खिलाफ सीबीआई निदेशक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने यह भी कहा कि जब जांच की निगरानी सीबीआई निदेशक के नियंत्रण में है तो विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा किसी अन्य अधिकारी को जांच सौंपना गलत नहीं माना जा सकता। उन्होंने सवाल उठाया कि "अगर एसआईटी किसी अधिकारी को नियुक्त करना चाहे तो इसमें क्या गलत है?"
वहीं, उच्च न्यायालय के आदेश के पक्ष में दलील पेश करने वाले वकील ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में साफ कहा गया था कि एसआईटी में दो सीबीआई अधिकारी, दो राज्य पुलिस अधिकारी और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) का एक वरिष्ठ अधिकारी होना चाहिए। इसमें किसी अन्य अधिकारी को शामिल नहीं किया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या एसआईटी की निगरानी खत्म हो गई है, जबकि मामला केवल एक जांच अधिकारी की नियुक्ति का है, जो सीबीआई के नियंत्रण में काम कर रहा है। इस बीच, एक अन्य पक्ष के वकील ने कहा कि उक्त अधिकारी जांच की प्रक्रिया में शामिल है और उनके मुवक्किल को बयान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
पीठ के समक्ष यह भी बताया गया कि प्रतिवादी को परेशान किया जा रहा है, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने सुझाव दिया कि वह शिकायत दर्ज कराएं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सीबीआई निदेशक ने एसआईटी के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा लिया है और जांच अधिकारी केवल रिकॉर्ड रखने का काम कर रहा है, जिसे सीबीआई निदेशक की अनुमति से काम जारी है।
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का आदेश
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने माना था कि सीबीआई निदेशक ने जे वेंकट राव नामक अधिकारी को मामले की जांच करने की अनुमति दी, जो एसआईटी का आधिकारिक सदस्य नहीं थे। उच्च न्यायालय के अनुसार, राव को एसआईटी में राज्य के प्रतिनिधि के रूप में नामित नहीं किया गया था, जो सर्वोच्च न्यायालय के 2024 के आदेश का उल्लंघन है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि एसआईटी में दो सीबीआई अधिकारी, दो आंध्र प्रदेश पुलिस अधिकारी और एक वरिष्ठ FSSAI अधिकारी शामिल होने चाहिए। यह आदेश कडुरु चिन्नापन्ना द्वारा दायर याचिका पर दिया गया था, जिसमें राव पर उत्पीड़न का आरोप था।














