
संसद का मॉनसून सत्र सोमवार, 28 जुलाई 2025 को खासा गरम रहा, जब बहुप्रतीक्षित पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में चर्चा शुरू होने जा रही थी। यह बहस दोपहर 12 बजे से प्रस्तावित थी, जिसकी अगुवाई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करने वाले थे। लेकिन जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही का आरंभ हुआ, विपक्षी पार्टियों ने जोरदार शोर-शराबा और नारेबाजी के साथ सरकार को घेरने की कोशिश की। इस हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही को अस्थायी रूप से 1 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
इसी बीच, कांग्रेस सांसद शशि थरूर संसद भवन परिसर में पहुंचे। मीडिया द्वारा जब उनसे बहस से संबंधित सवाल पूछे गए, तो उन्होंने हंसते हुए संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली जवाब दिया– "मौन व्रत... मौन व्रत"। उनका यह लक्षणात्मक उत्तर सियासी गलियारों में चर्चाओं का विषय बन गया है।
थरूर को नहीं मिली बहस में जगह, कांग्रेस ने जारी की नई सूची
जहां एक ओर पहलगाम हमले पर कांग्रेस की ओर से शशि थरूर की प्रमुख भूमिका की संभावनाएं जताई जा रही थीं, वहीं पार्टी ने अपने वक्ताओं की जो सूची जारी की, उसमें थरूर का नाम नदारद था। कांग्रेस ने बहस के लिए जिन छह नेताओं का चयन किया, उनमें शामिल हैं:
गौरव गोगोई
प्रियंका गांधी वाड्रा
दीपेंद्र सिंह हुड्डा
प्रणीति एस. शिंदे
सप्तगिरि उलाका
बिजेंद्र एस. ओला
कांग्रेस-थरूर संबंधों में तल्ख़ी?
यह सूची आने के बाद राजनीतिक पर्यवेक्षक यह संकेत दे रहे हैं कि शशि थरूर और पार्टी के बीच विचारों में दूरी बढ़ती जा रही है। थरूर पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुछ नीतियों की सार्वजनिक सराहना कर चुके हैं, जिससे पार्टी के भीतर असहजता देखी गई है। हालांकि, थरूर हमेशा यह स्पष्ट करते आए हैं कि उनके विचार व्यक्तिगत हो सकते हैं और वे जरूरी नहीं कि पार्टी लाइन से मेल खाते हों।
थरूर ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखी भारत की बात
हाल ही में थरूर को सरकार की ओर से गठित एक विशेष प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते देखा गया था। इस प्रतिनिधिमंडल ने ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाक तनाव से जुड़ी सच्चाइयों को वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत किया। थरूर ने अमेरिका सहित कई देशों की यात्रा की और भारत की रणनीति और पक्ष को प्रभावशाली ढंग से विश्व समुदाय के सामने रखा।
कांग्रेस ने जारी किया व्हिप
वहीं, कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को आगामी तीन दिनों तक संसद में अनिवार्य उपस्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि इस चर्चा में हर सदस्य की सक्रिय भागीदारी ज़रूरी है।
सियासी संकेतों से भरा 'मौन व्रत'
शशि थरूर के "मौन व्रत" वाले जवाब को कई राजनीतिक विश्लेषक उनके हालिया राजनीतिक व्यवहार का संकेत मान रहे हैं। जहां एक ओर वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का पक्ष रखने वाले प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे हैं, वहीं पार्टी की प्राथमिक बहस सूची से बाहर किए जाने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।














