
भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से जारी व्यापार तनाव में अब नरमी के संकेत मिलने लगे हैं। मंगलवार को नई दिल्ली में हुई उच्च स्तरीय द्विपक्षीय व्यापार वार्ता को दोनों देशों ने सकारात्मक बताया है। यह वार्ता ऐसे समय पर हुई है जब भारत द्वारा रूसी कच्चा तेल खरीदने के बाद अमेरिकी बाजार में प्रवेश करने वाले भारतीय सामानों पर 25% शुल्क और 25% अतिरिक्त दंडात्मक टैक्स लगाया गया था। उस विवाद के बाद अमेरिका के किसी वरिष्ठ व्यापार अधिकारी की यह पहली भारत यात्रा थी।
अमेरिकी असिस्टेंट ट्रेड रिप्रजेंटेटिव ब्रेंडन लिंच सोमवार रात भारत पहुंचे और मंगलवार को उनके भारतीय समकक्ष राजेश अग्रवाल के साथ बातचीत हुई। वार्ता के बाद अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, “भारत और अमेरिका के बीच व्यापार पर चर्चा सकारात्मक रही।” इसी तरह भारत सरकार ने भी अपने बयान में माना कि यह बातचीत द्विपक्षीय व्यापार के लिए एक स्थाई और रचनात्मक प्रयास की दिशा में कदम है।
यह उल्लेखनीय है कि यह वार्ता छठे दौर की औपचारिक बातचीत नहीं थी, बल्कि उसके पहले का एक रणनीतिक संवाद था। वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच फिलहाल हर सप्ताह वर्चुअल बैठकें भी हो रही हैं ताकि विवाद को हल किया जा सके।
यह बातचीत इसलिए भी अहम है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ के कारण दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी। अब इस तरह के सकारात्मक घटनाक्रम से यह संभावना प्रबल हो गई है कि यह शुल्क जल्द हट सकता है या इसमें ढील दी जा सकती है।
व्यापार वार्ता की सकारात्मकता का असर सीधे भारतीय रुपये पर भी पड़ा। मंगलवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 8 पैसे मजबूत होकर ₹88.08 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि घरेलू बाजार की मजबूती और डॉलर की वैश्विक कमजोरी के कारण रुपये में सुधार देखने को मिला है। गौरतलब है कि फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक और अमेरिका के कमजोर आर्थिक आंकड़ों के चलते डॉलर दो महीने के निचले स्तर पर आ गया है।
इस प्रकार भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में जमी बर्फ अब पिघलती नजर आ रही है। आने वाले हफ्तों में इस दिशा में और भी सकारात्मक पहल की उम्मीद की जा रही है।














