नई दिल्ली। अचल संपत्ति और अन्य दस्तावेजों के पंजीकरण को लेकर भारत सरकार अब एक बड़ा बदलाव करने जा रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग ने 'पंजीकरण विधेयक, 2025' का मसौदा तैयार कर लिया है, जो एक बार संसद से पारित होने पर 1908 के पंजीकरण अधिनियम की जगह लेगा।
मंत्रालय ने मंगलवार को जारी एक आधिकारिक बयान में बताया कि इस नए विधेयक का उद्देश्य पारदर्शी, आधुनिक, ऑनलाइन और नागरिक-केंद्रित पंजीकरण प्रणाली को पूरे देश में लागू करना है। विधेयक को सार्वजनिक परामर्श के लिए विभाग की वेबसाइट पर 25 जून तक सुझाव भेजने हेतु अपलोड कर दिया गया है।
1908 का कानून अब हो गया है पुराना
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि 1908 का पंजीकरण अधिनियम एक सदी से अधिक समय से भारत में दस्तावेजों के पंजीकरण की आधारशिला रहा है। लेकिन आज के डिजिटल युग में यह प्रणाली पुरानी हो चुकी है और इसमें कई व्यावहारिक दिक्कतें सामने आती हैं।
आज के दौर में पंजीकृत दस्तावेज़ सिर्फ संपत्ति लेन-देन ही नहीं, बल्कि वित्तीय, कानूनी और प्रशासनिक निर्णयों का भी आधार बनते हैं। इसलिए समय की मांग है कि प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित, कुशल और तकनीकी रूप से सशक्त बनाया जाए।
डिजिटल इंडिया की ओर एक और कदम
पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ऑनलाइन दस्तावेज़ जमा करने, डिजिटल पहचान सत्यापन और अन्य ई-गवर्नेंस नवाचारों को लागू किया है। इसी दिशा में, नया विधेयक पूरे देश में समान और सुचारू प्रणाली स्थापित करने का प्रयास करेगा।
पंजीकरण अधिकारियों की जिम्मेदारियां होंगी स्पष्ट
मंत्रालय का कहना है कि नया कानून न केवल तकनीक के उपयोग को प्राथमिकता देगा, बल्कि पंजीकरण अधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारियों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करेगा। इससे पंजीकरण प्रक्रिया की पारदर्शिता, जवाबदेही और कानूनी वैधता मजबूत होगी।
नागरिकों को मिलेगा सुविधा और भरोसा
‘पंजीकरण विधेयक 2025’ का उद्देश्य नागरिकों को कागज रहित, सुरक्षित और उपयोगकर्ता-अनुकूल सेवाएं प्रदान करना है, जिससे वे बिना किसी दलाल या भ्रष्टाचार के, अपने दस्तावेज़ डिजिटल रूप से पंजीकृत करवा सकें।
जनता से मांगे गए सुझाव
यह विधेयक अभी मसौदा रूप में है और 25 जून 2025 तक जनता से राय और सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। सुझाव भूमि संसाधन विभाग की वेबसाइट पर निर्धारित प्रारूप में जमा किए जा सकते हैं।