
दिल्ली सरकार ने शीतलहर से बचाव और राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार विभिन्न रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों (आरडब्ल्यूए) के माध्यम से 10,000 से अधिक इलेक्ट्रिक हीटर बांटने जा रही है। इस परियोजना को कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत लागू किया जाएगा, ताकि सर्दियों में अलाव के रूप में जलने वाली लकड़ी और कोयले के प्रयोग को कम किया जा सके। चौकीदारों और स्थानीय कर्मचारियों को इन हीटरों का लाभ मिलेगा, जिससे खुले में आग जलाने की आवश्यकता घटेगी।
मुख्यमंत्री का संदेश: प्रदूषण रोकने में सहयोग सबसे महत्वपूर्ण
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई केवल सरकारी स्तर तक सीमित नहीं, बल्कि जनता की भागीदारी से ही सफल हो सकती है। उन्होंने आरडब्ल्यूए से अपील की कि वे अपने क्षेत्रों में आग जलाने की किसी भी घटना को तुरंत नोटिस करें और इसे रोकने के प्रयास करें। उनके अनुसार, सर्दियों में तापमान गिरने पर लोग अक्सर गर्मी पाने के लिए लकड़ी या कोयला जलाते हैं, जिससे हवा और अधिक दूषित हो जाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इलेक्ट्रिक हीटर वितरित करने की यह नई पहल शुरू की है, ताकि राजधानी में प्रदूषण को एक स्तर पर लाया जा सके।
रेखा गुप्ता ने कहा, “हम चाहेंगे कि दिल्ली का हर नागरिक इस अभियान में भाग ले। जब तक लोग खुद जागरूक नहीं बनेंगे, तब तक किसी योजना को सफल बनाना संभव नहीं है। आरडब्ल्यूए अपने इलाकों में निगरानी बढ़ाएं और चौकीदारों को हीटर उपलब्ध कराकर आग जलाने की प्रथा पर रोक लगाएं।”
पूरी दिल्ली को शामिल करने की योजना
सीएम ने आगे बताया कि सरकार इस योजना को संपूर्ण दिल्ली में लागू करेगी और इसे एक सामूहिक प्रयास बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों का सहयोग जितना अधिक होगा, दिल्ली को साफ और सुरक्षित रखने की दिशा में प्रगति उतनी ही तेज होगी। सरकार का मानना है कि इलेक्ट्रिक हीटरों का वितरण केवल एक सुविधा ही नहीं बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है।
पर्यावरण मंत्री का सख्त संदेश
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी इस अवसर पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने जोर देकर कहा कि राजधानी में प्रदूषण को बढ़ावा देने वाली हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर रोक लगाई जानी चाहिए। सिरसा ने लकड़ी और कोयले से जलने वाले चूल्हों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कही, ताकि हवा साफ रहे और शीतकाल में उत्पन्न स्मॉग की स्थिति पर काबू पाया जा सके।














