
मध्यप्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने के बाद बच्चों की मौत की खबरों ने देश को हिला दिया है। इन दुखद घटनाओं के बाद केंद्र सरकार ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए पूरी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। इसके तहत स्वास्थ्य मंत्रालय आज शाम 4 बजे सभी राज्यों के स्वास्थ्य विभागों और संबंधित अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित करने जा रहा है। यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी, जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की अध्यक्षता रहेगी।
इस बैठक में देशभर के मुख्य सचिव, हेल्थ सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी (स्वास्थ्य), राज्य ड्रग कंट्रोलर और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। बैठक का मुख्य उद्देश्य बाजार में उपलब्ध कफ सिरप और अन्य दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है ताकि भविष्य में ऐसी मौतें रोक सकें। इसके लिए दवाओं के निर्माण मानकों का कड़ाई से पालन, दवाओं के सही इस्तेमाल पर जोर, और राज्य स्तर पर निगरानी व्यवस्था को और सशक्त बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पहले ही सभी राज्यों को एक कड़ी एडवाइजरी जारी कर चुका है, जिसमें कहा गया है कि दवाओं की गुणवत्ता में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। खास तौर पर बच्चों को दी जाने वाली खांसी की सिरप में हानिकारक रसायन जैसे DEG (डाइइथिलीन ग्लाइकोल) और EG (एथिलीन ग्लाइकोल) की उपस्थिति पर सख्त नियंत्रण होगा। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसी दवाएं जो सुरक्षित नहीं हैं, उन्हें बाजार से तुरंत हटाया जाएगा।
बैठक में राज्यों से यह भी रिपोर्ट मांगी जाएगी कि उन्होंने अब तक दवा सैंपल की जांच, उत्पादन इकाइयों के निरीक्षण और संदिग्ध सिरपों पर क्या कार्रवाई की है। इस पर भी चर्चा होगी कि कैसे बेहतर नियंत्रण और नियमित मॉनिटरिंग से इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बैठक कफ सिरप के निर्माण, गुणवत्ता जांच और निगरानी व्यवस्था को लेकर एक साझा रणनीति तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके बाद केंद्र सरकार नए दिशा-निर्देश भी जारी कर सकती है, जिससे देशभर में दवाओं की सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ेगी और ऐसी घटनाएं भविष्य में पुनः नहीं होंगी।
कुल मिलाकर, यह पहल देश के बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का एक बड़ा कदम है और इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर दवा मानकों के अनुरूप हो और जनता के स्वास्थ्य को कोई खतरा न हो।














