
नई दिल्ली। निजी कॉलेज की छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें और संस्थान के फंड का दुरुपयोग करने के आरोपों में गिरफ्तार चैतन्यानंद सरस्वती को पटियाला हाउस कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
शुक्रवार को उनकी पुलिस हिरासत समाप्त होने पर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां न्यायिक मजिस्ट्रेट अनिमेष कुमार ने सरस्वती को तिहाड़ जेल भेजने का आदेश दिया। इससे पहले, 28 सितंबर को उन्हें आगरा से गिरफ्तार कर पुलिस हिरासत में भेजा गया था।
सीसीटीवी के जरिए नजर रखता था छात्राओं पर
जांच में सामने आया है कि आरोपी के पास कॉलेज के सीसीटीवी कैमरों की सीधी पहुंच थी। इसी का फायदा उठाते हुए उसने वॉशरूम के आसपास जानबूझकर कैमरे लगवाए थे, ताकि छात्राओं की निजी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। पीड़िताओं का आरोप है कि सरस्वती ने बार-बार उन्हें परेशान किया और अनुचित व्यवहार किया।
इतना ही नहीं, सरस्वती पर यह भी आरोप है कि वह संस्थान की छात्राओं को महंगी गाड़ियों में घुमाने के बहाने ले जाकर उनके साथ अश्लील हरकतें करता था। पुलिस ने उसके कब्जे से एक बीएमडब्ल्यू कार भी जब्त की है।
सिर्फ यौन शोषण नहीं, करोड़ों का वित्तीय घोटाला भी
चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं के भी गंभीर आरोप हैं। पुलिस के अनुसार, आरोपी ने श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट रिसर्च की संपत्तियों को फर्जी ट्रस्ट के नाम ट्रांसफर किया। इसके लिए उसने श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट रिसर्च फाउंडेशन नामक एक नकली ट्रस्ट बनाया और संपत्तियों की पॉवर ऑफ अटॉर्नी प्राप्त कर फर्जीवाड़ा किया।
एफआईआर में दर्ज जानकारी के मुताबिक, ट्रस्ट के नाम से यस बैंक में खोले गए खाते से आरोपी ने 50-55 लाख रुपये निकाल लिए। इसके अलावा उसने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दो पासपोर्ट बनवाए और कई बैंकों में अलग-अलग नामों से खाते भी खुलवाए।
अग्रिम जमानत याचिका पहले ही हो चुकी है खारिज
इस मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को कोर्ट पहले ही खारिज कर चुकी है। 26 सितंबर को कोर्ट ने कहा था कि जांच अभी प्रारंभिक अवस्था में है और आरोपी से हिरासत में पूछताछ जरूरी है। पुलिस ने यह भी बताया था कि सरस्वती जानबूझकर पुलिस को टाल रहा था और उसका मोबाइल भी बंद था।
सरस्वती को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और पुलिस अब इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है। पुलिस यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि इस घोटाले और यौन शोषण में और कौन-कौन शामिल हो सकता है, और पीड़िताओं की संख्या कितनी है।
यह मामला न केवल एक धार्मिक गुरु की गिरती छवि को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे शिक्षा और धर्म की आड़ में कुछ लोग समाज के कमजोर वर्गों का शोषण करते हैं।














