
आरजेडी (RJD) के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में दो सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं। वर्तमान में वे राघोपुर से विधायक हैं और इस सीट से फिर से मैदान में उतरेंगे। इसके अलावा, खबरों के अनुसार वे मधुबनी की फुलपरास सीट से भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। फुलपरास से उनका दांव मिथिलांचल के राजनीतिक परिदृश्य पर खासा असर डाल सकता है।
फुलपरास सीट का राजनीतिक महत्व
फुलपरास से पहले कर्पूरी ठाकुर भी विधायक रह चुके हैं, इसलिए यह सीट राजनीतिक दृष्टि से ऐतिहासिक महत्व रखती है। आरजेडी की नजर न केवल तेजस्वी यादव पर है बल्कि अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के वोट बैंक पर भी है। बिहार में EBC की हिस्सेदारी लगभग 36% है। इस समुदाय में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए आरजेडी ने मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, जो खुद फुलपरास के निवासी हैं और EBC समाज में प्रभावशाली चेहरा माने जाते हैं।
EBC समाज पर संदेश
मिथिलांचल में EBC वोटों की संख्या निर्णायक मानी जाती है। तेजस्वी यादव के फुलपरास से चुनाव लड़ने की संभावना से इस समुदाय में आरजेडी का संदेश पहुंच सकता है और पार्टी को फायदा हो सकता है। तेजस्वी यादव महागठबंधन में मुख्यमंत्री का चेहरा हैं और यदि गठबंधन की सरकार बिहार में बनती है तो उनका सीएम बनना लगभग तय माना जा रहा है।
महागठबंधन में सीट बंटवारे का फॉर्मूला
हालांकि तेजस्वी यादव दो सीटों से चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं, लेकिन अभी तक सीटों के बंटवारे का औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है। महागठबंधन में शामिल दलों को संतुष्ट करने की कवायद जारी है और जल्द ही इसका फॉर्मूला सामने आ सकता है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, आरजेडी लगभग 125-130 सीटें अपने पास रखना चाह रही है। वामदल को 30-35 सीटें, वीआईपी को 18-20 सीटें, RLJP को 3-4 सीटें और JMM को 2-3 सीटें मिल सकती हैं।














