
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने आखिरकार रविवार शाम सीटों के बंटवारे का ऐलान कर दिया। कई दौर की बैठकों और गहन मंथन के बाद तय हुआ कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) बराबर-बराबर यानी 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। वहीं, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें मिली हैं। इसके अलावा जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 6-6 सीटों पर समझौता करना पड़ा।
पिछले कई दिनों से पटना से लेकर दिल्ली तक, एनडीए के घटक दलों में सीटों को लेकर खींचतान जारी थी। लेकिन जो तस्वीर अब सामने आई है, वह बताती है कि खुद को पीएम मोदी का ‘हनुमान’ कहने वाले चिराग पासवान इस बार गठबंधन में सबसे प्रभावशाली खिलाड़ी बनकर उभरे हैं।
चिराग की सख्त शर्तें, बीजेपी की मजबूरी
सूत्रों के मुताबिक, चिराग पासवान ने शुरुआत में भाजपा नेतृत्व से 40 सीटों की मांग की थी। कई दौर की बातचीत के बाद भी वे 30 सीटों से नीचे आने को तैयार नहीं थे। अंततः भाजपा को 29 सीटों का ऑफर देना पड़ा — वह भी अपनी और सहयोगियों की सीटों में कटौती कर।
यह समझौता आसान नहीं था। पिछली बार जब चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ा था, तो इसका सीधा नुकसान नीतीश कुमार की जेडीयू को उठाना पड़ा था। कई सीटों पर एलजेपी के प्रत्याशियों ने जेडीयू के वोट काटे और महागठबंधन को अप्रत्याशित बढ़त दिलाई। इस बार भाजपा नेतृत्व किसी भी कीमत पर चिराग को दूर नहीं करना चाहता था।
भाजपा ने पहले उन्हें 26 सीटों की पेशकश की थी, साथ ही राज्यसभा और एमएलसी सीटों का आश्वासन भी दिया, लेकिन चिराग 30 सीटों से नीचे झुकने को तैयार नहीं हुए। आखिरकार 29 सीटों पर सहमति बनी — यह संख्या एनडीए में उनकी राजनीतिक ताकत का प्रतीक बन गई।
जेडीयू और भाजपा ने खुद की सीटों में की कटौती
जानकारी के अनुसार, भाजपा और जेडीयू ने पहले अपने लिए कुल 205 सीटों का प्रारूप तय किया था, लेकिन चिराग के दबाव के बाद दोनों दलों को तीन-तीन सीटें छोड़नी पड़ीं। अब दोनों बराबर 101-101 सीटों पर मैदान में उतरेंगे। वहीं जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को पिछली बार की तुलना में एक सीट कम मिली है। उन्होंने भाजपा नेतृत्व को 15 सीटों की सूची सौंपी थी, लेकिन अंत में सिर्फ छह सीटें ही मिलीं। मांझी शुरू में असंतुष्ट नजर आए, लेकिन पीएम मोदी से बात होने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा — “मैं अंतिम सांस तक पीएम मोदी के साथ हूं।”
पिछली बार चिराग की रणनीति ने कैसे बदल दी थी तस्वीर
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था। उस समय उनकी पार्टी ने जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर सीधे नीतीश कुमार की साख पर चोट की थी। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, चिराग की वजह से जेडीयू को करीब 40 सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा था, जिससे महागठबंधन को फायदा हुआ।
चुनाव के बाद चिराग ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा था, “मैं चाहता था कि नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री न बनें। मैंने इसके लिए पूरी ईमानदारी से कोशिश की।” हालांकि, जनता के जनादेश को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि यह भाजपा और जेडीयू को मिला स्पष्ट आदेश था, और फैसला उन्हीं का होना चाहिए।














