
इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ के निर्णायक मुकाबले से पहले भारत की गेंदबाज़ी रणनीति को लेकर संजय मांजरेकर ने बड़ा बयान दिया है। उनका मानना है कि अगर जसप्रीत बुमराह अंतिम टेस्ट में नहीं खेलते, तो उनकी जगह कुलदीप यादव को मौका मिलना चाहिए।
ईएसपीएन क्रिकइंफो के शो ‘मैच डे हिंदी’ में मांजरेकर ने कहा, “भारत को ऐसे गेंदबाज़ों की ज़रूरत है जो 20 विकेट निकाल सकें। अगर बुमराह नहीं खेलते हैं और फिर भी कुलदीप को नहीं खिलाया गया, तो ये ज्यादती होगी।”
उन्होंने साथ ही टीम की रणनीति पर भी सवाल उठाया और कहा कि सीरीज़ में अब तक रणनीति भारत के पक्ष में नहीं गई है। “यह सोचना ग़लत होगा कि ड्रॉ मिलना रणनीति की जीत थी। सच यह है कि रणनीति भारत के लिए और भी जटिल बनी है।”
जडेजा और सुंदर की बल्लेबाज़ी पर प्रशंसा
मांजरेकर ने रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर की बल्लेबाज़ी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि दोनों ने जिस तरह पिछले मैच में संघर्ष किया, वह उनकी मानसिक दृढ़ता और तकनीकी प्रगति को दर्शाता है।
जडेजा के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं — सीरीज़ में उन्होंने 113.50 की औसत से 454 रन बनाए हैं। “जडेजा इस सीरीज़ में भारत के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ बन गए हैं। वह लगातार विपक्षी टीम को थकाते और हराते हैं, जैसे 2011 में राहुल द्रविड़ किया करते थे।”
वॉशिंगटन सुंदर को लेकर भी उन्होंने कहा: “लगातार बेहतर हो रही उनकी बल्लेबाज़ी देखकर लगता है कि वह जल्द ही विशेषज्ञ बल्लेबाज़ के रूप में पहचान बना सकते हैं।”
मांजरेकर का यह बयान महज़ एक राय नहीं, बल्कि टीम इंडिया के लिए एक रणनीतिक चेतावनी है — अगर बुमराह नहीं हैं, तो टीम को रक्षात्मक सोच छोड़कर आक्रामक गेंदबाज़ी विकल्प अपनाने होंगे। कुलदीप यादव का चयन इस सोच की पहली परीक्षा हो सकती है।
कुलदीप क्यों हैं बेहतर विकल्प?
मांजरेकर की बातों से यह संकेत मिलता है कि वह कुलदीप के मिस्ट्री स्पिन और विविधता को इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों के लिए चुनौती मानते हैं। बुमराह की अनुपस्थिति में भारतीय आक्रमण में विविधता की कमी हो सकती है, जिसे कुलदीप पूरा कर सकते हैं।
कुलदीप का विदेशी पिचों पर प्रदर्शन भले उतार-चढ़ाव भरा रहा हो, लेकिन जब भी उन्हें लंबा स्पैल मिला है, उन्होंने विकेट झटके हैं। मांजरेकर यह भी संकेत करते हैं कि भारत को अब विकेट के लिए जोखिम उठाना होगा – और कुलदीप ऐसा जोखिम हो सकते हैं जो टीम को लाभ दे।
मांजरेकर की बातों में साफ संदेश है – ड्रॉ से संतुष्ट मत होइए, जीत के लिए खेलिए। यदि भारत सीरीज जीतना चाहता है, तो पारंपरिक सोच से बाहर निकलकर नये कॉम्बिनेशन अपनाने होंगे। कुलदीप का चयन इसी दिशा में एक क़दम हो सकता है। साथ ही जडेजा और सुंदर की बल्लेबाज़ी क्षमता को और बेहतर ढंग से उपयोग करने की ज़रूरत है।














