ज्ञानवापी के ASI सर्वे की रिपोर्ट में क्या-क्या खुलासा, मस्जिद के निर्माण से पहले मौजूद था भव्य हिन्दू मंदिर

By: Rajesh Bhagtani Fri, 26 Jan 2024 12:32:01

ज्ञानवापी के ASI सर्वे की रिपोर्ट में क्या-क्या खुलासा, मस्जिद के निर्माण से पहले मौजूद था भव्य हिन्दू मंदिर

वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे की रिपोर्ट सामने आ चुकी है। इसे लेकर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कई दावे किए हैं। कोर्ट के आदेश के बाद सर्वे रिपोर्ट वादी पक्ष को सौंप की गई है। इस रिपोर्ट को 839 पेज का बताया जा रहा है। विष्णु जैन ने एएसआई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 17वीं शताब्दी में ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण से पहले उस स्थान पर एक हिंदू मंदिर मौजूद था। उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पिलर्स और प्लास्टर को थोड़े से मॉडिफिकेशन के साथ मस्जिद के लिए फिर से इस्तेमाल किया गया है। हिंदू मंदिर के खंभों को थोड़ा बहुत बदलकर नए ढांचे के लिए इस्तेमाल किया गया।

एएसआई को ज्ञानवापी परिसर में भव्य हिंदू मंदिर तोड़कर उसके ढांचे पर मस्जिद निर्माण के प्रमाण मिले हैं। सर्वे में मिले हिंदू देवी, देवताओं की मूर्तियां, खंडित धार्मिक चिह्न, सजावटी ईंटें, दैवीय युगल, चौखट के अवशेष सहित अन्य प्रमाण एएसआई ने जुटाए हैं। सभी 250 सामग्रियों को प्रमाण के रूप में एएसआई ने डीएम की सुपुर्दगी में कोषागार में जमा कराया है। इसकी एक सूची भी जिला जज की अदालत में जमा है। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में कोषागार में जमा सामग्रियां भी हिंदू पक्ष के लिए अहम प्रमाण हैं।

ASI की सर्वे रिपोर्ट में क्या-क्या खुलासा?

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जीपीआर सर्वे पर ASI ने कहा है कि यह कहा जा सकता है कि यहां पर एक बड़ा भव्य हिन्दू मंदिर था। इस रिपोर्ट में सामने आया है कि अभी के ढांचा के पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। ASI के मुताबिक वर्तमान जो ढांचा है उसकी पश्चिमी दीवार पहले के बड़े हिंदू मंदिर का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि महामुक्ति मंडप यह बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द है जो इसके शिलालेख में मिला है। तहखाने में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं।

विष्णु जैन ने कहा कि पिलर के नक्काशियों को मिटाने की कोशिश की गई। इस मंदिर का इस मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष था और कम से कम एक कक्ष क्रमशः उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में था। पहले से मौजूद संरचना के सजाए गए मेहराबों के निचले सिरों पर उकेरी गई जानवरों की आकृतियों को खराब कर दिया गया था और गुंबद के अंदरूनी हिस्से को दूसरे डिजाइनों से सजाया गया है। सर्वे के दौरान मौजूदा और पहले से मौजूद संरचनाओं पर कई शिलालेख देखे गए। वर्तमान सर्वेक्षण के दौरान कुल 34 शिलालेख दर्ज किए गए और 32 शिलालेख लिए गए।

सर्वे में मिलीं सामग्रियां

ज्ञानवापी परिसर की सर्वे में मिली खंडित मूर्तियां, चिह्न, आकृतियां, दरवाजे के टुकड़े, घड़े, हाथी, घोड़े, कमल के फूल सहित अन्य सामग्रियां मिली थीं। इन्हें छह नवंबर 2023 को जिलाधिकारी की सुपुर्दगी में दिया था। इन सभी सामग्रियों को जिला जज की अदालत के आदेश पर जरूरत पड़ने पर जिलाधिकारी न्यायालय में प्रस्तुत भी करेंगे।

ज्ञानवापी में शृंगार गौरी के नियमित दर्शन की मांग वाले आवेदन पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 14 सितंबर 2023 को आदेश दिया था कि ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान हिंदू धर्म और पूजा पद्धति से संबंधित जो भी सामग्रियां मिली हैं, उन्हें एएसआई की टीम जिलाधिकारी या उनके द्वारा नामित अधिकारी को सुपुर्द करेगी। संबंधित अधिकारी उन सामग्रियों को सुरक्षित रखेंगे और जब भी अदालत तलब करेगी तो उन्हें प्रस्तुत करना होगा। सुपुर्दगी में दी जाने वाली सामग्रियों की एक सूची अदालत और एक सूची जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।

ज्ञानवापी मस्जिद के पिलर हिंदू मंदिर के लगते हैं

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ASI की टीम ने अपने हाईटेक इंस्ट्रूमेंट के जरिए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिली कलाकृतियों और मूर्ति के कालखंड का पता लगाई थी. सर्वे में विभिन्न बिंदुओं पर टेंपल आर्किटेक्ट सामने आए हैं। मस्जिद के तहखानों में सनातन धर्म से जुड़े साक्ष्य भी मिले हैं। तहखाने के अंदर खंभों पर हिंदू धर्म से जुड़ी तमाम कलाकृतियां मिली हैं। सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि मस्जिद के पिलर हिंदू मंदिर के लगते हैं।

355 वर्ष का विवाद, अब रिपोर्ट सार्वजनिक

ज्ञानवापी का विवाद 355 वर्षों से चल रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मंदिर को 1669 में ध्वस्त किया गया, फिर मंदिर के पिलर और ढांचे पर मस्जिद बनाई गई। इसी मामले में 33 वर्ष से मुकदमेबाजी चल रही है। ज्ञानवापी को लेकर पहला मुकदमा 1991 में लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ मामले में दाखिल हुआ था। हालांकि एएसआई से सर्वे का आदेश और सर्वे रिपोर्ट पक्षकारों को देने का आदेश मां शृंगार गौरी केस में आया है। वादिनी राखी सिंह, सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में 17 अगस्त 2021 को वाद दाखिल करके परिसर के सर्वे का आदेश देने का अनुरोध किया था। बाद में मामला जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश्वर की अदालत में आया यानी 2 साल 152 दिन तक मामले की सुनवाई चली। मामले में एएसआई से सर्वे कराने का आदेश हुआ। सर्वे हुआ और रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई। अदालत ने सर्वे रिपोर्ट पक्षकारों को देने का आदेश दिया। 25 जनवरी 2024 को पक्षकारों ने सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी।

जल्द सुलझ जाएगा मामला- जगद्गुरु परमहंस आचार्य

ज्ञानवापी पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर तपस्वी छावनी के जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि आज बेहद खुशी का दिन है। राम मंदिर के बाद हमें एक और खुशी मिली है। वाराणसी कोर्ट ने ASI रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है। सबूत हैं कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। 2 सितंबर 1669 को आदि विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी नाम की मस्जिद बनाई गई थी। इसका सबूत ASI सर्वे रिपोर्ट में है। ये है मामला सभी सनातनियों और भारतीयों के लिए खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि जल्द ही सुप्रीम कोर्ट से आदेश आएगा और आदि विश्वेश्वर की पूजा शुरू हो जाएगी। अयोध्या की तरह वाराणसी मुद्दा भी सुलझ जाएगा।

एक नजर में

1991:
लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ का मुकदमा दाखिल करके पहली बार पूजापाठ की अनुमति मांगी गई। इस पर जिला अदालत ने सुनवाई की और मामला विचाराधीन ही रहा।

1993: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित किया।

2018: सुप्रीम कोर्ट ने स्टे ऑर्डर की वैधता छह महीने बताई।

2019: वाराणसी की जिला अदालत ने मामले की सुनवाई फिर शुरू की।

2023: जिला जज की अदालत ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया। सर्वे पूरा हुआ और रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई। इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 के लॉर्ड विश्वेश्वर मामले में स्टे ऑर्डर हटाया। एएसआई से सर्वे कराने और रिपोर्ट निचली अदालत में दाखिल करने का आदेश दिया।

2024: जिला जज की अदालत ने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट पक्षकारों को उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया। सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हुई।

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