उत्तराखंड अग्निकांड पर सुप्रीम कोर्ट, वन कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर क्यों लगाया जाता है?
By: Rajesh Bhagtani Wed, 15 May 2024 3:59:33
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्य में जंगल की आग को लेकर उत्तराखंड सरकार को आड़े हाथ लेते हुए पूछा कि वन अग्निशमन कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर क्यों तैनात किया गया था। "आपने जंगल के अग्निशमन कर्मचारियों को आग के बीच चुनाव ड्यूटी पर क्यों लगाया है?" अदालत को इसकी जानकारी दिए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड सरकार के वकील से पूछा।
वन विभाग के बुलेटिन के अनुसार, नवंबर के बाद से उत्तराखंड में जंगल की आग ने 1,437 हेक्टेयर से अधिक हरित क्षेत्र को प्रभावित किया है। हालांकि, राज्य के विभिन्न हिस्सों में हाल ही में हुई बारिश से जंगल की आग से काफी राहत मिली है और पिछले कुछ दिनों में कोई ताजा घटना सामने नहीं आई है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों से कई सवाल पूछे। उत्तराखंड सरकार ने जब फंड का मुद्दा उठाया तो अदालत ने केंद्र से पूछा जब आग से निपटने के लिए राज्य सरकार ने आपसे 10 करोड़ रुपए मांगे तो 3.15 करोड़ ही क्यों दिए गए। वहीं उत्तराखंड सरकार से पूछा कि जंगलों में आग के बावजूद वन कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर क्यों लगाया। अदालत ने कहा कि आपने हमें रोजी पिक्चर दिखाई यानी सब्जबाग दिखाए, जबकि स्थति ज्यादा भयावह है। उतराखंड मे 280 जगहों पर आग लगी है।
अदालत में वकील ने कहा कि फंडिंग बहुत बड़ा मुद्दा है। हम जैव ईंधन के उपयोग को अनिवार्य बना रहे हैं। वहीं याचिकाकर्ता राजीव दत्ता ने दलील देते हुए कहा कि कुमाऊं रेजिमेंट बिजली उत्पादन के लिए पाइन नीडल का उपयोग कर रही है।
अदालत ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि वह कुमाऊं रेजिमेंट से सीख क्यों नहीं लेती। वकील ने कहा कि आधे कर्मचारी चुनाव ड्यूटी पर हैं। जिस पर कोर्ट ने सवाल पूछा कि आपने वन कर्मचारियों को आग के बीच चुनाव ड्यूटी पर क्यों लगाया है। वहीं अधिकारी ने अदालत को बताया कि चुनाव ड्यूटी खत्म हो चुकी है, यह पहले चरण में थी। मुख्य सचिव ने हमें निर्देश दिया है कि वन विभाग के किसी भी अधिकारी को चुनाव ड्यूटी पर न लगाया जाए।
वकील ने कहा कि हम अब से आदेश वापस लेंगे। इस पर बेंच ने स्थिति को दुखद बताते हुए कहा कि आप केवल बहाने बना रहे हैं। उत्तराखंड के जंगलों में आग के मामले में सुनवाई के दौरान पिटिशनर इन पर्सन राजीव दत्ता ने दलील दी कि कुछ लोग जानबूझ कर जंगलों में आग लगवा कर पेड़ों से निकलने वाला लीसा बेचते हैं। ये धंधा जोरों पर है। आग लगाने के आरोप में पकड़े गए लोग तो महज उनके गुर्गे हैं। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एसवीएन भट्टी और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ के सामने सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हम आग बुझाने में लगे हैं, इस काम में नौ हजार से ज्यादा कर्मचारी जुटे हैं। हमने जंगल में आग लगाने के 420 मुकदमे दर्ज किए हैं। हर दूसरे दिन मुख्यमंत्री अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा ले रहे हैं। हम जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं।
उत्तराखंड सरकार ने कहा कि केंद्र से अब तक फंड रिलीज नहीं हुआ है हमें
उसका इंतजार है। कोर्ट की तरफ से नियुक्त न्याय मित्र वकील परमेश्वर ने कहा
कि इस बारे में राष्ट्रीय स्तर पर एक्शन प्लान बना हुआ है, लेकिन समय पर
एक्शन न हो तो सिर्फ प्लान का क्या फायदा। समुचित मानवीय संसाधन यानी
मानवीय बल चाहिए। जस्टिस मेहता ने कहा कि सैटलाइट तस्वीरों में भी आग लगी
हुई है। इस पर उत्तराखंड सरकार ने कहा कि केंद्र को शामिल करते हुए एक
समिति बना दी जाए।