संजय सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया ED को नोटिस

By: Rajesh Bhagtani Mon, 20 Nov 2023 5:47:21

संजय सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया ED को नोटिस

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह की दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र और ईडी को नोटिस जारी किया और उन्हें 11 दिसंबर से पहले अपना जवाब देने को कहा। कथित घोटाले के सिलसिले में सिंह को ईडी ने 4 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, गिरफ्तारी को चुनौती देने की बजाय आपको निचली अदालत में जमानत का आवेदन देना चाहिए था। 4 अक्टूबर को उनकी गिरफ्तारी हुई थी। 20 अक्टूबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज की थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि संजय सिंह की गिरफ्तारी कानून के आधार पर ही हुई है। जांच एजेंसी पर राजनीति के आधार पर काम करने का आरोप नहीं लगाया जा सकता।

क्या थी दिल्ली की शराब नीति?

रेवेन्यू बढ़ाने और दिल्ली में शराब की कालाबजारी पर लगाम लगाने के मकसद से अरविंद केजरीवाल की सरकार नई शराब नीति लेकर आई थी। 17 नवंबर, 2021 को दिल्ली में नई शराब नीति लागू की गई, लेकिन जल्द ही यह विवादों में आ गई और 30 जुलाई, 2022 को सरकार ने इसे वापस ले लिया। आप सरकार ने नीति लागू करने के पीछे तर्क दिया कि इससे रेवेन्यू बढ़ेगा और ब्लैक मार्केटिंग पर भी लगाम लगेगी।

यह भी कहा गया कि ग्राहकों के लिए भी नीति फायदेमंद होगी। पॉलिसी के तहत, शराब की दुकानें आधी रात को भी खुली रह सकती थीं और स्टोर अपने हिसाब से आकर्षक ऑफर देकर शराब की बिक्री कर सकते थे। पॉलिसी के तहत शराब की सभी दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इसमें 32 जोन बनाए गए और हर जोन में 27 दुकानें खोली जा सकती थीं। इस तरह कुल 849 दुकानें खोली जानी थीं। नई शराब नीति के तहत लाइसेंस की फीस भी बढ़ाकर 25 लाख से 5 करोड़ रुपये कर दी गई।

ED से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 'घोटाले' से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ आप नेता संजय सिंह की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि वसीयत को अदालत केवल तभी खारिज कर सकती है जब उसमें कटिंग और ओवरराइटिंग के माध्यम से पर्याप्त परिवर्तन पाए जाएं।

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