मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से एक ऐसा दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने हर माता-पिता को भीतर तक झकझोर दिया है। जहांगीरपुर गांव में डेढ़ साल के एक मासूम को लाड़-प्यार में परिजनों ने जेली खिला दी, लेकिन यही जेली उसकी जिंदगी की आखिरी मिठास बन गई।
मासूम आयुष लोधी के गले में जेली फंस गई, जिससे उसका दम घुट गया और उसकी मौत हो गई। परिजन उसे तुरंत सीहोर के जिला अस्पताल लेकर भागे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने आयुष को मृत घोषित कर दिया। यह कोई आम घटना नहीं, बल्कि हर माता-पिता के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि लाड़ में की गई एक छोटी-सी गलती भी आपके जीवन की सबसे कीमती चीज छीन सकती है।
जेली खाते ही सांस लेने में होने लगी तकलीफ
करण सिंह लोधी और उनका परिवार अपने डेढ़ साल के बेटे आयुष से बेहद प्यार करते थे। वह पूरे घर का चहेता था। उसे खुश करने के लिए परिजनों ने जेली खाने को दी। लेकिन जैसे ही उसने जेली खाई, वह अचानक रोने लगा और जोर-जोर से सांस लेने की कोशिश करने लगा। परिजन पहले तो कुछ समझ नहीं पाए, लेकिन जब उसकी हालत तेज़ी से बिगड़ने लगी, तो वे उसे लेकर भागते हुए जिला अस्पताल पहुंचे।
डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि जेली उसके गले में फंस गई थी, जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत हुई और दम घुटने से उसकी मौत हो गई।
तीन साल से कम उम्र के बच्चों को न दें ये चीजें
सिविल सर्जन प्रवीर गुप्ता का कहना है कि छोटे बच्चों की निगलने की क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं होती है। ऐसे में 3 साल से कम उम्र के बच्चों को गोल, चिपचिपी, सख्त या फिसलन भरी चीजें देना खतरनाक हो सकता है। ये खाद्य पदार्थ गले में फंसकर दम घुटने का कारण बन सकते हैं। यह घटना सभी माता-पिता के लिए एक बेहद जरूरी सबक है — बच्चों को कुछ भी खिलाने से पहले सोच-समझकर निर्णय लें।