महाकुंभ में गंगा और यमुना का पानी स्नान योग्य है या नहीं, इस मुद्दे पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) की रिपोर्टें एक-दूसरे से विपरीत आई हैं। मामले की सुनवाई राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) में बुधवार को हुई, जहां यूपीपीसीबी ने सीपीसीबी की रिपोर्ट का विश्लेषण करने के लिए अधिक समय की मांग की। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
एनजीटी का यूपीपीसीबी को निर्देश
CPCB की रिपोर्ट में दावा किया गया कि गंगा और यमुना का पानी स्नान योग्य नहीं है। लेकिन यूपीपीसीबी ने पलटवार करते हुए कहा कि दोनों नदियों का जल प्रदूषण नियंत्रण मानकों के अनुरूप है। एनजीटी ने यूपीपीसीबी को केंद्रीय बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर कर नई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। प्रयागराज स्थित संगम में पानी की स्वच्छता को लेकर विवाद बना हुआ है। यूपीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि संगम का पानी नहाने के लिए पूरी तरह उपयुक्त है और किसी भी नाले से प्रदूषित सीवेज सीधे गंगा या यमुना में नहीं छोड़ा जा रहा है।
यूपीपीसीबी का दावा: गंगा-यमुना का जल स्नान योग्य
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने प्रयागराज में गंगा और यमुना के छह स्थानों पर जल परीक्षण किया और दावा किया कि पानी स्नान के लिए उपयुक्त है। हालांकि, शास्त्री ब्रिज के पास बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) और फिकल कोलीफॉर्म (Fecal Coliform) के स्तर में मामूली वृद्धि दर्ज की गई। यूपीपीसीबी ने यह भी स्पष्ट किया कि गंगा और यमुना में किसी प्रकार का सीवेज या अपशिष्ट जल नहीं छोड़ा जा रहा है। 15 फरवरी को किए गए सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष सामने आया था।
सीपीसीबी की रिपोर्ट: जल गुणवत्ता पर सवाल
इसके विपरीत, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने सोमवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सौंपी गई रिपोर्ट में दावा किया कि महाकुंभ के दौरान कई स्थानों पर अपशिष्ट जल का स्तर स्वीकार्य मानकों से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, फिकल कोलीफॉर्म की स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 एमएल है, लेकिन कुछ जगहों पर यह इससे अधिक पाई गई। एनजीटी बेंच, जिसमें अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल शामिल हैं, प्रयागराज में गंगा और यमुना में अपशिष्ट जल के प्रवाह को रोकने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही है।