गुवाहाटी। असम में हुए पंचायत चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को मिली बड़ी जीत ने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के 2026 विधानसभा चुनावों में 100 से अधिक सीटें जीतने के लक्ष्य को नया बल दे दिया है। 397 जिला परिषद सीटों में से 300 सीटें एनडीए ने जीतीं, जिनमें से अकेले भाजपा ने 272 पर जीत दर्ज की। यह प्रदर्शन "एंटी-इनकम्बेंसी" की आशंकाओं के बावजूद भाजपा के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक बढ़त बन गया है।
गांव से शहरी इलाकों तक असरदार 'ट्रिपल इंजन सरकार' का मंत्र
हिमंता सरमा ने पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान "ट्रिपल इंजन सरकार" (केंद्र + राज्य + स्थानीय निकाय) का नारा दिया था। चुनाव परिणामों ने इस रणनीति को जनसमर्थन मिलने की पुष्टि कर दी है। उन्होंने कहा, “अगर पंचायत स्तर पर यह समर्थन मिला है, तो शहरी क्षेत्रों में और बेहतर प्रदर्शन होगा। हमें 104 सीटें जीतने की संभावना दिख रही है।”
सरकारी योजनाओं का दिखा असर
चुनाव परिणामों से यह भी स्पष्ट हुआ कि राज्य सरकार की योजनाएं जैसे 'ओरुनोदोई', 'निजुत मोइना' और 'महिला उद्यमिता मिशन' ग्रामीण मतदाताओं में लोकप्रिय रही हैं। इन्हीं योजनाओं को हिमंता सरकार की विकासपरक छवि की रीढ़ माना जा रहा है।
कांग्रेस की गिरती पकड़ और गौरव गोगोई की सीट पर सफाया
जहां भाजपा की लोकप्रियता बढ़ी है, वहीं कांग्रेस का प्रदर्शन चिंताजनक रहा। 2018 में जहां कांग्रेस को 35% जिला परिषद सीटें मिली थीं, इस बार वह घटकर मात्र 18% पर सिमट गई। गौरव गोगोई के संसदीय क्षेत्र जोरहाट और सिवसागर जैसे पूर्वी जिलों में कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया।
गौरतलब है कि 2024 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 13 में से 3 सीटें जीती थीं, जो उसके 2019 के प्रदर्शन के समान थी। लेकिन पंचायत चुनावों में भाजपा ने जोरहाट से ही अपना प्रचार अभियान शुरू कर कांग्रेस को उसके 'गढ़' में कड़ी चुनौती दी।
2026 के लिए मजबूत आधार
इस समय असम विधानसभा में भाजपा के पास 64 विधायक हैं, जबकि सहयोगी दलों AGP के पास 9 और UPPL के पास 7 विधायक हैं। इसके अलावा 5 निर्दलीय विधायक भी NDA को समर्थन दे रहे हैं। पंचायत चुनावों के नतीजे यह दर्शाते हैं कि भाजपा न केवल मौजूदा सत्ता को बरकरार रखने की स्थिति में है, बल्कि उसे और अधिक मजबूत कर सकती है।
असम में भाजपा ने पंचायत स्तर पर अपनी पकड़ और जनसमर्थन दोनों को साबित किया है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का 2026 में 'विधानसभा शतक' लगाने का सपना अब केवल आकांक्षा नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से संभव होता दिख रहा है। पंचायत चुनावों ने भाजपा को निर्णायक बढ़त दिलाई है — और साथ ही कांग्रेस को उसके पारंपरिक क्षेत्रों में भी कड़ी चुनौती दे दी है।