'एक बेड के लिए लाइन में थे लोग, मरीज के मरने का कर रहे थे इंतजार'

By: Pinki Sun, 23 May 2021 11:19:51

'एक बेड के लिए लाइन में थे लोग, मरीज के मरने का कर रहे थे इंतजार'

भारत में कोरोना की दूसरी लहर कहर बनकर टूटी है। देश में अब तक 3 लाख से ज्यादा लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो चुकी है। अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत तीसरा देश है जहां 3 लाख से ज्यादा मौतें हुई है।

कोरोना की दूसरी लहर को याद करते हुए गोरखपुर में निगरानी सीमित की बैठक में डीएम के विजयेंद्र पांडियन भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि इस बार कोविड वेरियेंट बहुत तेज है। तीसरे दिन में 80% फेफड़ा संक्रमित हो जाता है। 5वें दिन में सांस फूलने लगती है। 7वें दिन में आदमी की मौत हो जाती है। हमें समय ही नहीं मिलता है बचाने के लिए।

आदमी मरेगा, तब वो बेड मिलेगा

डीएम पांडियन ने कहा, '1000-1000 मरीज एक दिन में आ रहे थे। किसे बेड दें, किसे न दें। हमलोग ऐसी हालत में थे कि एक दिन 100 लोग लाइन में थे, एक बेड के लिए दो लोग लाइन में लगे रहते थे। वे मरने का इंतजार कर रहे थे। आदमी मरेगा, तब वो बेड मिलेगा। दोबारा ऐसी स्थिति किसी की भी जिंदगी में देखने को नहीं मिलनी चाहिए। यह बीमारी तीन साल हमारे साथ रहने वाली है। सभी लोग परिवार को सुरक्षित रखें।'

तीसरी लहर पर जताई चिंता

तीसरी लहर को लेकर चिंता जताते हुए डीएम के विजयेंद्र ने कहा, 'दूसरी लहर को लेकर हमलोगों ने प्रयास किया है। थोड़ा बहुत नियंत्रित कर पाए हैं। आगे भी करेंगे। अकेले एक आदमी कुछ नहीं कर सकता है। दूसरे साल हमलोग इससे गुजर रहे हैं।'

अभी तीन-चार साल हमें इसे फेस करना है

उन्‍होंने कहा, 'अभी तीन-चार साल हमें इसे फेस करना है। ये अभी जल्दी नहीं जाने वाली। बहुत लोगों को और परेशान करने वाली है। इसे मन में रखिए जिंदा रहने तक। तब जिंदा रह पाएंगे। डीएम ने कहा कि कहां खो गई है हमारी जिम्‍मेदारी। आप उंगली उठाकर बताइए, कोई परिवार छूटा है इससे। मैं खुद भी संक्रमित था। मेरा पूरा परिवार प्रभावित हुआ है। परिवार को दूसरी जगह भेजकर काम कर रहा हूं कि उन्‍हें दोबारा न हो जाए। बहुत से लोग ऐसे हैं।'

उन्‍होंने चिंता जताते हुए कहा, 'कब तक ये लापरवाही चलेगी। कब तक। ये वायरस हमलोगों का ही इस्‍तेमाल करता है। हमलोगों के मेल-जोल के हिसाब से फैलता है। सावधान होते हैं तो वहीं रुक जाता। सरकार बार-बार तीन चीजें कह रही है। सैनेटाइज करो, मास्‍क पहनो और सामाजिक दूरी बनाओ। ये आदत क्‍यों नहीं डाल पा रहे हैं। कौन सी महंगी बात है। हम कहां जा रहे हैं। लापरवाही हम क्‍यों कर रहे हैं। अगली वेव में हम अपने बच्‍चो को भी खोएंगे। जब कोई पीढ़ी नहीं बचेगी, तब हम मानेंगे। ये कहां तक करेंगे हमलोग। जून तक बेड की संख्‍या में इतनी वृद्धि कर रहे हैं कि बेड की कोई कमी नहीं रहेगी। हर 5 किलोमीटर में 50-50 बेड मिलेगा। 15 जून तक 5000 बेड हम बनाने जा रहे हैं। लेकिन, जब तक निचले स्‍तर पर इसे रोकने के लिए प्रयास नहीं होगा, हम इसे रोक नहीं पाएंगे।'

आपको बता दे, जब देश में कोविड की दूसरी लहर पीक पर थी जब रोजाना संक्रमण के 4 लाख से ज्यादा केस आ रहे थे और मौत का आंकड़ा प्रतिदिन 4000 तक पहुंच गया था। फिलहाल इसमें थोड़ा सुधार देखा जा रहा है।

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