गंदेरबल सीट से जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे उमर अब्दुल्ला
By: Rajesh Bhagtani Sun, 25 Aug 2024 7:10:09
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला गंदेरबल निर्वाचन क्षेत्र से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। यह घोषणा आज (25 अगस्त) लोकसभा सदस्य सैयद रूहुल्लाह मेहदी और एनसी के प्रांतीय अध्यक्ष नासिर असलम वानी ने उमर अब्दुल्ला और एनसी के वरिष्ठ नेता और अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद मियां अल्ताफ अहमद की मौजूदगी में की।
उमर अब्दुल्ला गंदेरबल जिले के नुनेर गांव आए थे, जहां राजनीतिक कार्यकर्ता सईद मुस्तफा ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। सईद मुस्तफा ने श्रीनगर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में सईद रूहुल्लाह मेहदी ने सईद को अन्य उम्मीदवारों के साथ हराया था।
रविवार को उमर अब्दुल्ला द्वारा विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा ने उनके पहले के उस बयान को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब तक जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा, तब तक वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।
जानकारी के अनुसार, उमर अब्दुल्ला हाल ही में गांदरबल जिले के नुनेर गांव पहुंचे थे। उनकी मौजूदगी में सईद मुस्तफा नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी में शामिल हुए थे। सईद मुस्तफा ने श्रीनगर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें सैयद रुहुल्लाह मेहदी ने हरा दिया था।
उमर अब्दुल्ला 2009 से 2015 तक जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे और वे नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष भी रहे हैं। इसके अलावा वे तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और 2008 से 2014 तक गांदरबल सीट और 2014 से 2019 तक बीरवाह विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। साल 2002 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के काजी मोहम्मद अफजल से हार का सामना करना पड़ा था।
भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव की घोषणा की है। पहले चरण के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। पहले चरण में घाटी और जम्मू संभाग की 24 विधानसभा सीटों पर 18 सितंबर को मतदान होगा। दूसरे चरण के लिए मतदान 25 सितंबर को होगा और अंतिम चरण के लिए 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे, जबकि 4 अक्टूबर को मतगणना होगी।
बता दें कि जून 2018 से जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार नहीं है। इससे पहले पीडीपी-भाजपा गठबंधन की राज्य में सरकार थी। लेकिन, भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद राज्य
में राज्यपाल शासन लागू किया गया और तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा को भंग कर दिया था।
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया गया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया।