कल्पना कीजिए, आसमान से एक विशाल पत्थर धरती की ओर तेजी से बढ़ रहा हो, जिसकी टक्कर से उतनी तबाही मच सकती है जितनी हजारों परमाणु बम मिलकर भी नहीं मचा सकते। यह कोई काल्पनिक फिल्म की कहानी नहीं है, बल्कि यह है NASA की ताज़ा चेतावनी, जो हमारे ग्रह के लिए एक गम्भीर चिंता का कारण बन गई है। NASA ने जानकारी दी है कि 24 मई 2025 को एक विशालकाय एस्टेरॉयड जिसका नाम है 2003 MH4, पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजरने वाला है। हालांकि, फिलहाल यह सीधी टक्कर की स्थिति में नहीं है, लेकिन इसके आकार और गति को देखकर वैज्ञानिक इस खतरे को नज़रअंदाज़ करने के मूड में नहीं हैं।
कितना विशाल है यह अंतरिक्षीय पत्थर?
यह एस्टेरॉयड करीब 335 मीटर चौड़ा है — यानी आप तीन बड़े फुटबॉल मैदानों को एक लाइन में रखें, तो उसकी लंबाई के बराबर। इसकी गति भी किसी अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल से कम नहीं है — लगभग 14 किलोमीटर प्रति सेकंड। यह Apollo ग्रुप से संबंधित है, जिसमें वे एस्टेरॉयड शामिल होते हैं जो पृथ्वी की कक्षा को पार करते हैं और संभावित रूप से खतरा बन सकते हैं।
कितना पास आएगा यह धरती के?
2003 MH4 पृथ्वी से करीब 6.68 मिलियन किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। सुनने में यह बहुत ज्यादा लग सकता है, लेकिन खगोलविदों की दृष्टि से यह काफी नजदीक है। यह दूरी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की औसत दूरी से केवल 17 गुना अधिक है। NASA के Center for Near-Earth Object Studies (CNEOS) ने इस एस्टेरॉयड को Potentially Hazardous Asteroid (PHA) घोषित किया है। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि यह तुरंत धरती से टकराने वाला है, बल्कि इसका मतलब है कि यह भविष्य में संभावित खतरा बन सकता है, अगर इसकी कक्षा में जरा-सा भी बदलाव आता है।
ऐसे बदलाव हो सकते हैं:
- Yarkovsky Effect की वजह से, जो सूरज की गर्मी के कारण एस्टेरॉयड की दिशा को प्रभावित करता है।
- या फिर ग्रहों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी इसकी कक्षा को बदल सकती है।
वैज्ञानिक इतनी निगरानी क्यों कर रहे हैं?
अगर इतना बड़ा एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराता है, तो इसका प्रभाव हज़ारों परमाणु बमों की शक्ति से कम नहीं होगा। इसके नतीजे हो सकते हैं:
- विशाल आग लगना
- जबरदस्त भूकंप और सुनामी
- और एक भयंकर Impact Winter, जिसमें धूल और धुएं के कारण सूरज की रोशनी महीनों तक पृथ्वी तक नहीं पहुंचेगी।
NASA का कहना है कि अभी कोई टक्कर का खतरा नहीं है, लेकिन एस्टेरॉयड की चाल, बनावट, घनत्व और सतह से प्रकाश परावर्तन (Reflective Properties) पर बारीकी से नजर रखी जा रही है, ताकि किसी भी संभावित खतरे को समय रहते पहचाना जा सके।
क्या है Planetary Defense और क्यों है यह ज़रूरी?
इस घटना ने एक बार फिर यह जता दिया है कि पृथ्वी केवल आंतरिक प्राकृतिक आपदाओं से नहीं, बल्कि बाहरी अंतरिक्षीय खतरों से भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए NASA और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्पेस एजेंसियां Planetary Defense मिशन पर काम कर रही हैं।
ऐसा ही एक उदाहरण है DART मिशन, जो किसी एस्टेरॉयड को टक्कर मारकर उसकी दिशा बदलने की तकनीक पर आधारित है। यह तकनीक भविष्य में ऐसे पिंडों से धरती को बचाने में क्रांतिकारी भूमिका निभा सकती है।