मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया पर दिए गए विवादित बयान ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया था। शाह ने कर्नल सोफिया को आतंकियों की बहन बताकर न केवल सेना बल्कि समाज के एक बड़े हिस्से की भावनाओं को ठेस पहुंचाई। इस बयान पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मंत्री के खिलाफ मामले की जांच के आदेश दिए थे, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी भाषा की कड़ी निंदा की। विवाद बढ़ने के बीच मंत्री ने अब तीसरी बार सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है, जिसमें उन्होंने अपनी गलती को 'भाषाई भूल' बताया और भारतीय सेना व देशवासियों से दिल से क्षमायाचना की है।
मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह द्वारा भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया के बारे में दिया गया विवादित बयान देशभर में गरमाई चर्चा का विषय बना हुआ है। मंत्री ने कर्नल सोफिया को आतंकियों की बहन कह दिया था, जिससे न केवल सेना में बल्कि आम जनता में भी भारी आक्रोश और नाराजगी फैली। इस बयान के बाद कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए और सोशल मीडिया पर भी मंत्री की जमकर आलोचना हुई।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वतः संज्ञान लिया और पुलिस को आदेश दिया कि मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। इस कदम से साफ था कि न्यायपालिका इस तरह के विवादित और अपमानजनक बयानों को बर्दाश्त नहीं करेगी। जब मंत्री ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, तो सर्वोच्च न्यायालय ने उनके बयान को “गटर वाली भाषा” बताते हुए कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन भी किया, जिसे अपनी रिपोर्ट 28 मई तक सौंपनी है।
विवाद के बीच, मंत्री विजय शाह ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी करते हुए तीसरी बार माफी मांगी। अपने माफीनामे में उन्होंने कहा कि उनका बयान ‘भाषाई भूल’ था और उनका कोई भी इरादा किसी धर्म, जाति या समुदाय की भावनाओं को आहत करने का नहीं था। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे भारतीय सेना और देश के प्रति अत्यंत सम्मान रखते हैं और पहलगाम हत्याकांड की दर्दनाक घटना से वे खुद भी दुखी और विचलित हैं।
शाह ने अपने बयान में कहा, "जयहिंद, पिछले दिनों पहलगाम में हुए जघन्य हत्याकांड से मैं मन से बहुत दुखी और विचलित हूं। राष्ट्र के प्रति मेरा अपार प्रेम और भारतीय सेना के प्रति आदर एवं सम्मान हमेशा रहा है। मेरे द्वारा कहे गए शब्दों से खास समुदाय, धर्म और देशवासियों को दुख पहुंचा है, यह मेरी भाषाई भूल थी। मैं भूलवश अपने द्वारा कहे गए शब्दों के लिए पूरी भारतीय सेना से, बहन कर्नल सोफिया से, एवं समस्त देशवासियों से पूरी तरह से क्षमा प्रार्थी हूं।"
यह माफी शाह का तीसरा माफीनामा है, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक दबाव के चलते उन्हें बार-बार सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकारनी पड़ी है। इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीति और समाज में नेताओं की जिम्मेदारी और भाषा की संवेदनशीलता पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।