विवाद: ममता कुलकर्णी बनीं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर, हिमांगी सखी ने जताई आपत्ति
By: Sandeep Gupta Sat, 25 Jan 2025 1:55:39
बॉलीवुड की चर्चित अभिनेत्री ममता कुलकर्णी अब आध्यात्मिक राह पर चल पड़ी हैं। कुंभनगरी में किन्नर अखाड़ा ने उन्हें दीक्षा देकर महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की है। दीक्षा के बाद ममता कुलकर्णी का नाम बदलकर श्री यामाई ममतानंद गिरि रखा गया है। हालांकि, इस निर्णय पर सवाल उठने लगे हैं। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा, "किन्नर अखाड़ा किन्नरों के लिए है, तो फिर एक स्त्री को महामंडलेश्वर क्यों बनाया गया? अगर हर वर्ग को महामंडलेश्वर बनाना है तो फिर अखाड़े का नाम किन्नर क्यों रखा गया है?" ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के बाद यह मामला चर्चा का विषय बन गया है। हिमांगी सखी का यह बयान अखाड़े के भीतर मतभेदों को उजागर करता है।
बता दे, बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा ममता कुलकर्णी ने लंबे समय से फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली थी। इस दौरान उनका झुकाव अध्यात्म की ओर बढ़ता चला गया। शुक्रवार को ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में पहुंचकर सांसारिक मोह-माया को त्यागते हुए किन्नर अखाड़े से संन्यास की दीक्षा ली। दीक्षा लेने से पहले उन्होंने पूरे विधि-विधान के साथ संगम तट पर अपना पिंडदान भी किया
दो घंटे की दीक्षा प्रक्रिया और पट्टाभिषेक
संगम तट पर लगभग दो घंटे तक उनकी संन्यास की दीक्षा प्रक्रिया चली। इस अवसर पर कई प्रमुख साधु-संत और महामंडलेश्वर उपस्थित रहे। दीक्षा के बाद किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की अगुवाई में उनका पट्टाभिषेक संपन्न हुआ। इसके साथ ही ममता कुलकर्णी का नया नाम श्रायामाई ममता नंद गिरी रखा गया। ममता कुलकर्णी ने इस अवसर पर कहा, "यह मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है कि अर्धनारेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के हाथों मेरा पट्टाभिषेक हुआ।"
धार्मिक जीवन की ओर पूर्ण समर्पण
ममता कुलकर्णी ने बताया कि महामंडलेश्वर बनने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की है। वह पिछले 23 वर्षों से फिल्मों से दूर रहकर धार्मिक यात्राओं और आध्यात्मिक साधनाओं में लीन थीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब उनका बॉलीवुड में वापस लौटने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा, "अब मेरा जीवन धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर समर्पित रहेगा।"
ममता कुलकर्णी के इस निर्णय ने उनके आध्यात्मिक परिवर्तन को न केवल नया मुकाम दिया है बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि उन्होंने सांसारिक जीवन को पूरी तरह त्यागकर धार्मिक पथ पर चलने का दृढ़ निश्चय कर लिया है।