नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस बीआर गवई को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस बी.आर. गवई को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के पद पर नियुक्त करने की मंजूरी प्रदान की थी।
जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई, जिन्हें बी.आर. गवई के नाम से जाना जाता है, 14 मई, 2025 को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में औपचारिक रूप से शपथ ग्रहण किया।
वर्तमान मुख्य न्यायाधीश ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश की थी। संजीव खन्ना का मौजूदा कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो गया। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा और वे नवंबर 2025 में रिटायर होंगे।
राजनीति में आने के सवाल पर जस्टिस गवई ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है और वह सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी प्रकार की सरकारी या संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि, “CJI का पद सर्वोच्च है, इसके बाद कोई भी पद लेना उचित नहीं लगता, राज्यपाल का पद भी इससे नीचे आता है।”
#WATCH | Delhi: President Droupadi Murmu administers oath of office to Justice BR Gavai as the Chief Justice of India (CJI).
— ANI (@ANI) May 14, 2025
(Video Source: President of India/social media) pic.twitter.com/3J9xMbz3kw
महाराष्ट्र के अमरावती जिले में जन्मे जस्टिस गवई का जीवन संघर्ष और सादगी से भरा रहा है। उनके पिता आर.एस. गवई जाने-माने राजनेता और अंबेडकरवादी विचारक थे, जो बिहार और केरल के राज्यपाल भी रह चुके हैं। न्यायमूर्ति गवई ने 1985 में वकालत शुरू की थी और लंबे अनुभव के बाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने। अपने छह साल के कार्यकाल में उन्होंने 700 से अधिक मामलों की सुनवाई की है। उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 को समाप्त होगा।