कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले में एक और छात्र से जबरन जनेऊ (पवित्र उपवीत) हटवाए जाने का मामला सामने आया है। यह घटना 16 अप्रैल को हुई, ठीक उसी दिन जब इसी तरह की एक अन्य घटना को लेकर दो होम गार्ड्स को निलंबित किया गया था। अब ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने इस मामले में पुलिस से शिकायत की है और दोषी सुरक्षाकर्मी पर कार्रवाई की मांग की है।
छात्र की पहचान पार्थ राव के रूप में हुई है, जिसने आरोप लगाया है कि CET (कॉमन एंट्रेंस टेस्ट) परीक्षा देने पहुंचने पर एक वर्दीधारी व्यक्ति ने उसे जबरन जनेऊ उतारने के लिए मजबूर किया, उसे तोड़कर कचरे में फेंक दिया।
पार्थ राव ने बयान में कहा, “मैं 12वीं कक्षा पूरी कर चुका हूं और 16 अप्रैल को CET परीक्षा देने गया था। परीक्षा केंद्र के बाहर वर्दी में मौजूद एक व्यक्ति जिसका नाम विकास है, उसने मुझे जनेऊ उतारने को कहा, उसे काटा और डस्टबिन में फेंक दिया। परीक्षा के बाद मैंने वही से निकाल लिया, ये देखिए ये उसका सबूत है।”
इस घटना के सामने आने के बाद शिवमोग्गा के ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने स्थानीय पुलिस से संपर्क कर आरोपी सुरक्षाकर्मी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
गौरतलब है कि इसी दिन एक अन्य परीक्षा केंद्र — आदिचुंचनगिरी इंडिपेंडेंट पीयू कॉलेज, शरवथिनगर में भी दो छात्रों से जनेऊ हटवाए जाने पर विवाद हुआ था। तब कॉलेज प्रबंधन के हस्तक्षेप के बाद दोनों छात्रों को परीक्षा देने की अनुमति दी गई और सुरक्षाकर्मियों को धार्मिक प्रतीकों को लेकर हस्तक्षेप न करने की हिदायत दी गई थी।
बाद में जिला प्रशासन द्वारा की गई जांच में CCTV फुटेज के ज़रिए होम गार्ड्स की गलती साबित हुई और उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
यह मामला न सिर्फ धार्मिक आस्थाओं के सम्मान पर सवाल उठाता है, बल्कि परीक्षा केंद्रों पर संवेदनशीलता और सांस्कृतिक समझ की ज़रूरत को भी उजागर करता है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है और ब्राह्मण समाज इस प्रकरण को लेकर खासा आक्रोशित है।