जीएसटी काउंसिल जल्द ही एक अहम निर्णय लेने जा रही है, जिससे करोड़ों उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। खबरों के मुताबिक, अगली बैठक में 12 फीसदी के टैक्स स्लैब को खत्म करने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह बदलाव आम आदमी की जेब पर सीधा असर डाल सकता है। दूध, दही, पनीर, प्रिजर्व्ड फिश, ईंट, कंडेन्स्ड मिल्क, क्लीन एनर्जी डिवाइसेज जैसे जरूरी उत्पाद सस्ते हो सकते हैं। यही नहीं, 1000 रुपये से ऊपर के कपड़े और 1000 रुपये तक के जूते-चप्पल भी लोगों की पहुंच में आ सकते हैं।
रोजमर्रा के सामान पर मिल सकती है बड़ी राहत
सरकार का इरादा है कि रोजमर्रा की जरूरतों वाले उत्पादों को सीधे 5 फीसदी टैक्स स्लैब में शामिल किया जाए, ताकि हर वर्ग के लोगों को सस्ता सामान उपलब्ध हो सके। दूसरी ओर, कुछ ऐसे उत्पाद जो पहले 12% स्लैब में थे, उन्हें अब 18% टैक्स के दायरे में लाया जा सकता है।
जानिए किन वस्तुओं पर लगता है अभी 12% टैक्स
उत्पाद: मक्खन, घी, प्रोसेस्ड फूड, बादाम, मोबाइल फोन, फलों का रस, पैक्ड नारियल पानी, अचार, जैम, छाता, 1000 रुपये से ऊपर के कपड़े, और 1000 रुपये तक के फुटवियर।
सेवाएं: होटल में ठहरना (7500 रुपये तक प्रति रात), नॉन-इकोनॉमी फ्लाइट टिकट, कुछ कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स, मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट और व्यावसायिक सेवाएं।
क्या वास्तव में चीजें सस्ती होंगी?
यह सबसे बड़ा सवाल है। सूत्रों की मानें तो सरकार का झुकाव उन वस्तुओं को सस्ता करने की ओर है, जो आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी हैं। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि किस वस्तु या सेवा को कौन से नए टैक्स स्लैब में डाला जाएगा। इसका पूरा खाका जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद सामने आएगा।
मौजूदा टैक्स स्लैब की स्थिति
वर्तमान में चार टैक्स स्लैब लागू हैं –
5% (सबसे कम)
12% (जिसे खत्म करने पर विचार हो रहा है)
18%
28% (प्रीमियम प्रोडक्ट्स पर लागू)
विशेषज्ञों का मानना है कि 12% टैक्स स्लैब को हटाने का उद्देश्य महंगाई पर लगाम लगाना और आम जनता को राहत देना है। अगर ऐसा होता है, तो इसका सीधा लाभ उन लोगों को मिलेगा जो महंगाई के चलते परेशान हैं।
इस फैसले से जहां सरकार की मंशा महंगाई कम करने की है, वहीं आम जनता को भी थोड़ी राहत की उम्मीद जागी है। अब निगाहें जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक पर टिकी हैं।