बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा बन सकती हैं इर्ष्या का कारण, इन तरीकों से संभाले स्थिति
By: Ankur Thu, 03 Feb 2022 03:43:07
जब भी कभी घर में एक से ज्यादा बच्चे होते हैं तो देखा जाता हैं कि उनमें किसी भी काम को लेकर कॉम्पटीशन अर्थात प्रतिस्पर्धा लगी रहती हैं जो एक तरह से अच्छी बात हैं और यह उनकी ललक को दिखाती हैं। वहीँ कई बार यह उनकी यह प्रतिस्पर्धा इर्ष्या का कारण भी बन जाती हैं जिसके आगे चलकर दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी हैं कि स्थिति को इस तरह संभाले कि बच्चों के जोश को कम ना करते हुए उनके मन में द्वेष भाव को ना पनपने दे। प्रतियोगिता की भावना अच्छी हैं लेकिन एक लिमिट तक। तो आइये जानते हैं ऐसे में पेरेंट्स अपने बच्चों को कैसे संभाले...
उनकी एक दूसरे से तुलना न करें
बच्चे जैसा देखते और महसूस करते हैं वैसा ही वह व्यवहार करने लगते हैं। इसलिए सबसे पहले आपको खुद में यह बदलाव करना होगा कि आप उन्हें एक दूसरे से कंपेयर न करें। अगर आप उन्हें यह समझाएंगे कि वह एक दूसरे से किसी चीज में अच्छे या बुरे हैं तो वह हमेशा एक दूसरे के लिए नीचा दिखाने वाला और लड़ाई की भावना वाला भाव रखेंगे। इसलिए हमेशा केवल उनकी तारीफ करें लेकिन एक दूसरे से उनकी तुलना न करें।
उन्हें स्पष्टता के बारे में सिखाएं
अपने बच्चों को चीजों को स्पष्ट करना सिखाएं। उन्हें यह पता होना चाहिए कि अगर उनके भाई या बहन पढ़ाई में उनसे कमजोर हैं तो यह उनकी कमजोरी नहीं है बल्कि हो सकता है वह खेल कूद आदि में तेज हों। इसलिए किसी एक चीज को लेकर उनकी तुलना एक दूसरे से न करें। बल्कि उनकी एक कमजोरी के बदले दूसरी खूबी ढूंढें। ताकि वह एक दूसरे की कमजोरी में उनका साथ दे पाएं।
बाउंड्री सेट करें
थोड़ा बहुत मस्ती मजाक हर भाई बहन करते हैं और अगर कभी कभार वह मस्ती करते समय एक दूसरे की टांग खींच लेते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन उन्हें उनकी सीमा का पता होना चाहिए। उन्हें बताएं कि मजाक इतना ज्यादा भी नहीं होना चाहिए कि उससे दूसरे बच्चे की भावनाओं को ठेस पहुंचे। अगर दूसरा बच्चा मजाक में रो रहा है या उसे बुरा महसूस हुआ है तो ऐसी गलती या मजाक दोबारा न करने को कहें और इसे एक सबक की तरह प्रयोग करना सिखाएं।
उनकी भावनाओं को समझें
बच्चा अपने आप को दूसरे से श्रेष्ठ तब दिखाता है जब उसे यह महसूस हो कि माता पिता उसकी भावनाओं की कदर नहीं कर रहे हैं या जब उन्हें यह महसूस होता है कि उनकी पूरे परिवार में कोई वैल्यू ही नहीं है। ऐसी स्थिति को अवॉइड करने के लिए उनके मन में क्या चल रहा है इस बारे में बात करें। अगर आपको लगता है कि आप दोनों बच्चों में एक जैसा व्यवहार नहीं कर रहे हैं तो इस बात पर गौर करें।
दोनों बच्चों की खूबियां गिनवाएं
एक बच्चे को उसकी खामी की वजह से गलत शब्दों का प्रयोग करने की बजाए उसे उसके अंदर छुपी खूबी के लिए शाबाशी दें। हो सकता है किसी दिन दोनों बच्चों में से एक बच्चे के अच्छे नंबर नहीं आए हों, तो इस स्थिति में अच्छे नंबर लाने वाले बच्चे की प्रशंसा करने के साथ साथ दूसरे बच्चे की कमी न निकालें बल्कि उसे भी उसकी किसी पिछली उपलब्धियों के बारे में शाबाशी दें।