
कई बार किसी रिश्ते की शुरुआत बहुत खूबसूरत होती है, लेकिन वक्त के साथ वही रिश्ता बोझ या संघर्ष बन जाता है। प्यार का जादू धीरे-धीरे फीका पड़ने लगता है और रिश्ता निभाने की प्रक्रिया बस एक आदत बनकर रह जाती है। लोग खुद को यह कहकर समझाते हैं कि “थोड़ा वक्त दो, सब ठीक हो जाएगा”, लेकिन सच यह है कि हर रिश्ता वक्त के साथ नहीं सुधरता। कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिन्हें जितना लंबा खींचा जाए, उतना ही वे भीतर से तोड़ते चले जाते हैं। इसलिए जरूरी है यह पहचानना कि कब कोई रिश्ता आपके लिए जहरीला (toxic) हो चुका है, और कब उसे छोड़ देना आपके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। आइए जानते हैं एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं ऐसे हालात में।
क्यों छोड़ने से डरते हैं लोग?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, लोग अक्सर Sunk Cost Fallacy का शिकार हो जाते हैं। यानी, उन्हें लगता है कि उन्होंने इस रिश्ते में बहुत वक्त, मेहनत और भावनाएं निवेश की हैं, इसलिए अब इसे छोड़ देना उनकी सारी कोशिशों को व्यर्थ कर देगा। बहुत से लोग सोचते हैं कि “इतना झेला है तो अब थोड़ा और सही”, और इसी सोच में वे खुद को भावनात्मक रूप से थका देते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है — प्यार कोई “प्रोजेक्ट” नहीं है जिसे आप जितना निभाएंगे, उतना बेहतर परिणाम मिलेगा। अगर रिश्ता अब बढ़ नहीं रहा, तो उसमें बने रहना सिर्फ आपको और कमजोर करेगा।
गलत रिश्ते में गिरने लगता है आत्मसम्मान
लंबे समय तक गलत या एकतरफा रिश्ते में रहने से व्यक्ति का self-respect और आत्मपहचान धीरे-धीरे मिटने लगती है। आप खुद पर शक करने लगते हैं, अपनी जरूरतों को अनदेखा करते हैं और हर स्थिति में शांति बनाए रखने के लिए खुद को छोटा दिखाने लगते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा रिश्ता जिसमें आपका आत्मसम्मान घटे, वह दिल टूटने से भी ज्यादा नुकसानदेह होता है। यही वह मोड़ होता है जब समझ लेना चाहिए कि अब वक्त आ गया है रिश्ते से बाहर निकलने का।
शर्म और अपराधबोध का बोझ
कई लोग गलत रिश्ते में भी अपने पार्टनर का बचाव करते हैं, उनके व्यवहार को सही ठहराते हैं, और अपनी असहजता को नजरअंदाज करते हैं। धीरे-धीरे यही आदत आपको दोस्तों और परिवार से दूर कर देती है। जब रिश्ता टूटने की कगार पर आता है, तो आप खुद को अकेला, असफल या शर्मिंदा महसूस करने लगते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दरअसल ऐसे रिश्ते खत्म नहीं होते, बस उनका स्वरूप बदल जाता है — वे आपको भीतर से तोड़कर रख देते हैं।
खुद को चुनना स्वार्थ नहीं, समझदारी है
अगर आप किसी ऐसे रिश्ते को खत्म करने का फैसला लेते हैं जो आपके मानसिक स्वास्थ्य और आत्मसम्मान के लिए हानिकारक है, तो यह आपकी कमजोरी नहीं बल्कि जागरूकता है। कभी-कभी “ना” कहना ही खुद से सच्चा प्यार करने की शुरुआत होती है।रिश्ता खत्म करना दर्दनाक जरूर होता है, लेकिन गलत रिश्ते में टिके रहना उस दर्द को हर दिन बढ़ाता जाता है। एक्सपर्ट्स कहते हैं — “जो रिश्ता अब आपको शांति नहीं देता, उसे छोड़ देना हार नहीं, बल्कि हिम्मत का संकेत है।”














