
घर का वातावरण बच्चे की सोच, भावनाओं और आदतों पर गहरा प्रभाव डालता है। जब घर में अपनापन, प्यार और भरोसा होता है, तो बच्चा अपनी छोटी-बड़ी बातें बिना डर के माता-पिता के साथ साझा करता है। लेकिन कई बार पैरेंट्स अनजाने में कुछ ऐसी आदतें अपनाते हैं, जो बच्चे को धीरे-धीरे चुप रहने और अपनी भावनाओं को छिपाने पर मजबूर कर देती हैं। इसके कारण बच्चे घर में इमोशनली कम जुड़े रहते हैं और अक्सर बाहरी लोगों के साथ खुल जाते हैं, जो हमेशा सही दिशा नहीं दिखाते। आइए जानते हैं ऐसी 5 आम गलतियों के बारे में जो बच्चे को बातें छिपाने पर मजबूर करती हैं।
1. छोटी-छोटी बातों पर बार-बार गुस्सा करना
जब बच्चे से छोटी गलती हो और पैरेंट्स तुरंत गुस्सा दिखाने लगें या डांटें, तो बच्चा धीरे-धीरे डरने लगता है। उसे लगता है कि अगर उसने अपनी बात घर में रखी तो उसे सज़ा या डांट मिलेगी। समय के साथ यह डर बच्चे को अपनी भावनाओं को छुपाने और बातें साझा न करने की आदत में बदल देता है। ऐसे में जरूरी है कि पैरेंट्स हर गलती पर गुस्सा करने की बजाय धैर्य और प्यार से समझाएं।
2. बच्चों की बातों को नजरअंदाज करना
कई बार बच्चे अपनी किसी परेशानी या अनुभव को साझा करते हैं, लेकिन पैरेंट्स उनकी बातों को टाल देते हैं या मज़ाक में उड़ा देते हैं। इससे बच्चे को लगता है कि उनके विचार और भावनाओं की कोई अहमियत नहीं है। धीरे-धीरे बच्चा अपनी भावनाओं को घर में शेयर करना बंद कर देता है और चुप रहना सीख जाता है।
3. दूसरों से तुलना करना
पैरेंट्स अक्सर बच्चों की तुलना दूसरों से करते हैं—“देखो वह कितना अच्छा है” या “तुम उससे कम हो।” ऐसी तुलना बच्चों के आत्मविश्वास को चोट पहुंचाती है। वे खुद को कमतर महसूस करने लगते हैं और यह सोचते हैं कि परिवार उनके विचारों या भावनाओं को नहीं समझता। ऐसे हालात में बच्चे अपने मन की बातें छिपाने लगते हैं और घर से धीरे-धीरे दूरी बनाने लगते हैं।
4. बच्चों पर जरूरत से ज्यादा कंट्रोल रखना
अगर पैरेंट्स हर फैसले में हावी हो जाते हैं और बच्चों की हर चीज़ पर नजर रखते हैं, तो बच्चे बंधा हुआ महसूस करते हैं। अपनी आजादी खोने के डर से वे अपने मन की बातें छिपाने लगते हैं। जबकि अगर बच्चे को खुला माहौल और थोड़ी आजादी दी जाए, तो वे बिना डर के अपने विचार और भावनाओं को साझा करते हैं।
5. बच्चों की बातों पर भरोसा न करना
कुछ पैरेंट्स का स्वभाव ऐसा होता है कि वे बच्चे की कही बातों पर शक करते हैं या झूठ बोलने का ताना मारते हैं। इससे बच्चे को जजमेंट का डर लगता है और धीरे-धीरे वे पैरेंट्स के साथ बातचीत करना बंद कर देते हैं। खासतौर पर उन मुद्दों पर, जहां उन्हें लगता है कि उनकी भावनाओं को समझा नहीं जाएगा।
इन छोटी-छोटी गलतियों से बच्चे इमोशनली अपने माता-पिता से दूर हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि पैरेंट्स धैर्य, विश्वास और अपनापन बनाए रखें, ताकि बच्चे खुलकर अपने मन की बातें साझा कर सकें।














