
‘प्यार में लोग अंधे हो जाते हैं’ (Love is Blind) यह कहावत हम सभी ने कई बार सुनी है। साहित्य, फिल्मों और रोजमर्रा की बातचीत में यह वाक्य बार-बार दोहराया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे केवल भावनाओं का जादू नहीं, बल्कि दिमाग और शरीर का एक वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक खेल भी छिपा है? आइए जानते हैं कि प्यार का यह ‘अंधापन’ वास्तव में कैसे काम करता है।
दिमाग में उठता है केमिकल तूफान
प्यार का अनुभव सीधे हमारे दिमाग से शुरू होता है। जब हम किसी के प्रति आकर्षित होते हैं या प्रेम महसूस करते हैं, तो हमारे दिमाग में एक जबरदस्त केमिकल रिएक्शन शुरू हो जाता है।
डोपामाइन: जिसे 'हैप्पी हार्मोन' भी कहा जाता है। यह हमारी ‘रिवॉर्ड सिस्टम’ को एक्टिव करता है और हमें अपने पार्टनर के साथ समय बिताने पर अत्यधिक खुशी देता है।
ऑक्सीटोसिन और सेरोटोनिन: ये केमिकल्स हमारे बॉन्डिंग और सुकून की भावना को बढ़ाते हैं।
लेकिन इन केमिकल्स का एक साइड इफेक्ट भी होता है—वे हमारी लॉजिकल सोच को अस्थायी रूप से धीमा कर देते हैं। यही कारण है कि हम अपने पार्टनर की कमियों या नकारात्मक पहलुओं पर ध्यान नहीं देते। यह ठीक वैसा ही है जैसे आप किसी खूबसूरत दृश्य को देखकर आसपास की गंदगी को अनदेखा कर देते हैं।
मनोविज्ञान: कमियों को नजरअंदाज करना
इस अवस्था को ‘पॉजिटिव इल्यूजन’ कहा जाता है। प्यार में पड़ा व्यक्ति अपने साथी के गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर देखता है और छोटी-बड़ी कमियों को या तो नजरअंदाज कर देता है, या प्रेम की निशानी मानकर स्वीकार कर लेता है।
यह एक प्रकार का कॉग्निटिव बायस है, जहां भावनाएं हमारी लॉजिक पर हावी हो जाती हैं। हम अनजाने में उन संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं जो हमारे मन में बनी साथी की इमेज से मेल नहीं खाते। इसे ही लोग ‘प्यार का अंधापन’ कहते हैं—यह आंखों का नहीं, बल्कि विवेक और क्रिटिकल थिंकिंग का अंधापन है।
इमोशनल और साइकोलॉजिकल इनवेस्टमेंट
प्यार में अंधापन केवल केमिकल्स तक सीमित नहीं है। हमारी मनोवैज्ञानिक जरूरतें भी इसमें बड़ी भूमिका निभाती हैं।
इमोशनल इनवेस्टमेंट: जब हम किसी रिश्ते में अपना समय, ऊर्जा और भावनाएं लगाते हैं, तो इसे सफल बनाने की तीव्र इच्छा रखते हैं। इसी वजह से हम पार्टनर की कमियों को अनदेखा कर देते हैं।
लंबे रिश्ते की चाह: अगर हर छोटी कमियों पर लगातार ध्यान दिया जाए तो शायद ही कोई रिश्ता लंबे समय तक टिक पाए। ‘पॉजिटिव इल्यूजन’ इस मामले में लंबे और संतुष्ट रिश्ते की नींव तैयार करता है।
संतुलन की कला
दिलचस्प बात यह है कि यह ‘अंधापन’ हमेशा नकारात्मक नहीं होता। जो कपल एक-दूसरे के लिए ‘पॉजिटिव इल्यूजन’ रखते हैं, वे अक्सर ज्यादा खुश और संतुष्ट रहते हैं। यह भावनात्मक बंधन को मजबूत करने का एक प्राकृतिक तरीका बन जाता है। लेकिन यह अंधापन तब खतरनाक हो जाता है जब यह हमें किसी हानिकारक या टॉक्सिक रिश्ते में फंसा देता है। साथी की कुछ कमियों को स्वीकार करना जरूरी है, लेकिन अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत को जोखिम में नहीं डालना चाहिए। तो अब आप समझ गए होंगे कि ‘प्यार में अंधा होना’ केवल एक कहावत नहीं, बल्कि दिमाग, दिल और केमिकल्स का रोमांचक खेल है।













