मानसून में बढ़ सकती हैं अस्थमा रोगियों की समस्या, इन योगासन से मिलेगा आपको लाभ
By: Ankur Wed, 13 July 2022 7:22:30
मानसून के इन दिनों में जहां मौसम सुहाना होने लगता हैं, वहीँ अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ने लगती हैं। अस्थमा, श्वसन से संबंधित एक गंभीर और क्रोनिक बीमारी है। अगर सही समय पर अस्थमा का इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता हैं। हांलाकि विशेषज्ञों के मुताबिक अस्थमा की समस्या को पूर्ण रूप से दूर नहीं किया जा सकता हैं लेकिन योग के मुताबिक इसे नियंत्रित तो किया ही जा सकता हैं। जी हां, कई प्रकार के योग का नियमित अभ्यास अस्थमा रोगियों की समस्या को दूर करने में मदद कर सकता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे योग की जानकारी देने जा रहे हैं जो अस्थमा रोगियों को लाभ पहुंचाने का काम करते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...
धनुरासन
अस्थमा के रोगियों के लिए इस योगासन को काफी कारगर माना गया है। इस अवस्था में खुद को एक धनुष की अवस्था में मोड़ लें। यानी पहले पेट के बल लेट जाएं और फिर अपने टागों को उलटी दिशा में मोड़कर हाथों से पकड़ लें और छाती के ऊपर के हिस्से को ऊंचा उठा लें। इस अवस्था में कुछ देर तक रहें और फिर नॉर्मल पोजिशन में आ जाएं। हालांकि इस दौरान लगातार सांस लेते और छोड़ते रहें।
भुजंगासन
योग विशेषज्ञों के मुताबिक अस्थमा की समस्या के शिकार लोगों के लिए भुजंगासन बेहद फायदेमंद योग हो सकता है। इसका नियमित अभ्यास करके अस्थमा की जटिलताओं का कम करने में सहायता मिल सकती है। इस योगासन को करने के लिए पेट के बल लेटकर हथेली को कंधों के नीचे रखें। सांस लेते हुए और शरीर के अगले हिस्सो को ऊपर की और उठाएं। 10-20 सेकंड्स तक इसी स्थिति में रहें और फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं। भुजंगासन कई और स्वास्थ्य समस्याओं में लाभदायक माना जाता है।
सुकासन
श्वासन की तरह की सुकासन भी अस्थमा के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है। चूंकि इसमें पूरा ध्यान सांस लेने और छोड़ने पर केंद्रित होता है इसलिए यह अस्थमा के ट्रीटमेंट में कारगर है और फेफड़ों को भी स्वस्थ रखता है। इसके लिए पैर मोड़कर यानी पलौथी मारकर सीधी अवस्था में बैठ जाएं। अब अपने दाहिने हाथ को अपने दिल पर रखें और बाएं हाथ को पेट पर रखें। आंखें बंद कर लें और पेट को अंदर की तरफ खींचें और छाती को थोड़ा लिफ्ट करें। अब सांस को धीरे-धीरे बाहर की तरफ छोड़ें। कम से कम 5-6 मिनट के लिए इस अवस्था में ही रहें और फिर से रिपीट करें।
पवनमुक्तासन
अस्थमा के रोगियों के लिए इस योग के नियमित अभ्यास से काफी लाभ मिल सकते हैं। इस योग के लिए पीठ के बल लेट जाएं। अब दोनों पैरों को मिलाते हुए और हथेली को जमीन पर लगाएं। इसके बाद दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती तक लगाएं। फिर अपने दोनों हाथों की उंगलियों को मिलाते हुए घुटने से थोड़ा नीचे होल्ड कर लें। अब पैरों से छाती पर दबाव पड़े तो धीरे-धीरे सांस को अंदर बाहर छोड़ें।
अनुलोम विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं। इस प्राणायाम को करने से क्रोनिक डिजीज, तनाव, डिप्रेशन, हार्ट के लिए सबसे बेस्ट माना जाता है। इसके अलावा ये मांसपेशियों की प्रणाली को भी ठीक रखता है। इसे 10 से 15 मिनट करें।
ब्रिज पोज योग
नियमित रूप से ब्रिज पोज योग का अभ्यास अस्थमा की जटिलाओं को कम करने के साथ कमर के दर्द को भी कम करने में काफी फायदेमंद माना जाता है। सांस लेने की क्षमता में सुधार करने में इस योग को काफी लाभदायक माना जाता है। इस योग को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं। अपने पैरों को कंधे की चौड़ाई से थोड़ा अलग करते हुए घुटनों को मोड़ लें। हथेलियों को खोलते हुए हाथ को बिल्कुल सीधा जमीन पर सटा कर रखें। अब सांस लेते हुए कमर के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं, कंधे और सिर को सपाट जमीन पर ही रखें। सांस छोड़ते हुए दोबारा से पूर्ववत स्थिति में आ जाएं।
भ्रामरी
इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद करते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 5 से 7 बार जरूर करना चाहिए। 5 मिनट में ही बॉडी रिचार्ज करें। अनिद्रा, क्रोध और चिंता को करें कम। शरीर की प्रणाशक्ति बढाएं।
अर्धमत्स्येन्द्रासन
दमा रोगियों के लिए यह आसन बहुत फायदेमंद रहता है। सबसे पहले बाएं पैर को मोड़कर बायीं एड़ी को दाहिनें हिप के नीचे रखें। अब दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाएं पैर का तलवा लाएं और घुटने की बायीं ओर जमीन पर रखें। इसके बाद बाएं हाथ को दाएं घुटने की दायीं ओर ले जाएं और कमर को घुमाते हुए दाएं पैर के तलवे को पकड़ लें और दाएं हाथ को कमर पर रखें। सिर से कमर तक के हिस्से को दायीं और मोड़ें। अब ऐसा दूसरी ओर से भी करें। इसे करने से पीठ, गर्दन, कमर, नाभिसे नीचे के भाग और छाती की नाड़ियों में खिंचाव आते है। इससे फेफड़ों में आराम से ऑक्सीजन जाती है।